न्यूजीलैंड की आबादी से ज्यादा बिहारियों ने छोड़ दिया है बिहार, आंकड़े जान चौंक जाएंगे आप

अब सवाल है कि आखिर ये बिहारी यानी बिहार के लोग अपने प्रदेश को छोड़कर क्यों जाते हैं? 2011 की जनगणना के मुताबिक, कई लाख बिहारी प्रवासी हैं, यानी आप समझ सकते हैं कि एक बड़ी आबादी बिहार छोड़ चुकी है.

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Ravi Prashant
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Why are Biharis migrants?

बिहारी प्रवासियों की कहानी( Photo Credit : SOCIAL MEDIA)

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एक बिहारी प्रवासी कैसे बनता है? अगर इस पर लिखा जाए तो यह एक बड़ी किताब बन जाएगी. किताब ऐसी है कि बिहार में इस किताब के पब्लिश होने पर रोक लगा दिया जाएगा. इस मोटी किताब में हर उस बिहारवासी का दर्द होगा जो साधारण काम के लिए अपना गांव छोड़ता है, जो पढ़ाई के लिए अपना गांव छोड़ता है, जो बेहतर उपचार के लिए बिहार छोड़ता है. बिहारियों के पास बिहार में कुछ भी बेहतर पाने का भी विकल्प नहीं है. ऐसे में पेट का सवाल है तो एक बिहारी, मजदूरों को ले जाने वाली ट्रेन में बैठकर दिल्ली, मुंबई, गुजरात और देश के अन्य राज्यों में पहुंच जाता है. 

आखिर क्यों बिहार छोड़ते हैं बिहारी?

जब वह किसी बड़े शहर में पहुंचता है तो उसे बन रहे अपार्टमेंट में गार्ड की या ईंटें ढोने की नौकरी मिल जाती है. इन प्रवासियों में लोवर क्लास और अपर क्लास के बिहारी होते हैं, जो थोड़ा पढ़ चुके उन्हें एसी रूम में नौकरी मिल जाती है, लेकिन जो नहीं पढ़े पाए उन्हें धूप में काम करना पड़ता है. इन दोनों वर्गों के बीच एक समानता यह है कि दोनों बिहारी प्रवासी हैं. अब सवाल है कि आखिर ये बिहारी यानी बिहार के लोग अपने प्रदेश को छोड़कर क्यों जाते हैं? 

बिहार छोड़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं

इसका जवाब हम आपको ऊपर दे चुके हैं. बिहार में जब कोई बच्चा पैदा होता है, अगर वह अच्छे परिवार से है, तो उसके माता-पिता कोटा या किसी बड़े शहर में पढ़ने की योजना बनाते हैं, लेकिन गरीब परिवार ऐसा नहीं सोच सकता क्योंकि उसके पास पैसे नहीं होते हैं. उन्हें ये सोचने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वो जानते हैं कि हमने बिहार छोड़ दिया है तो हमारी आने वाली पीढ़ियां भी बिहार से बाहर ही रहेंगी. यानी पलायन बिहारियों की सोच में जन्म से है क्योंकि उन्हें भी पता है कि यहां कुछ नहीं होने वाला है. इसलिए उनके पास बिहार छोड़ने के अलावा कोई ऑप्शन बचता ही नहीं है. 

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93 लाख बिहारी छोड़ चुके हैं प्रदेश

2011 की जनगणना के मुताबिक, 93 लाख बिहारी प्रवासी हैं, यानी आप समझ सकते हैं कि एक बड़ी आबादी बिहार छोड़ चुकी है. ये आंकड़े 12 साल पुराने हैं. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि 2023 में ये आंकड़े क्या होंगे. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हर साल छठ पूजा के दौरान रेलवे सरकार व्यापक इंतजाम करती है, लेकिन इसके बावजूद छठ पूजा के दौरान बिहारी प्रवासियों को जानवरों की तरह ट्रेनों में यात्रा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं. ये सवाल उन सभी बिहारियों के लिए है कि उन्हें प्रवासी स्टांप क्यों और कब तक साथ रखना पड़ता है?

Source : News Nation Bureau

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