प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के अचानक लेह पहुंचने की खबर से हर कोई चौंक गया, क्योंकि इस वक्त पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच भारी तनाव है. पीएम मोदी के लेह पहुंचने की यह खबर भारतीय मीडिया समेत वैश्विक खबरों में सुर्खियां बन गईं. प्रधानमंत्री का वहां पहुंचना किसी रणनीतिक परिवर्तन या फिर किसी नए ठोस कदम उठाए जाने की ओर संकेत के दौर पर देखा जा रहा है. उनके इस दौरे से चीन में भी हलचल पैदा हो गई. नतीजन बौखलाहट में चीनी विदेश मंत्रालय भी सामने आ गया.
यह भी पढ़ें: 1962 की तरह खुद को अलग-थलग न समझें सेना, पीएम मोदी ने अपने दौरे से दिया संदेश
1947 से अब तक भारत ने 15 प्रधानमंत्री देखे हैं. सीमा पर तनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सरहद पर पहुंचे हैं. हालांकि देश में ऐसा पहली बार नहीं है कि जब सरहद पर तनाव के बीच कोई प्रधानमंत्री सीमा पर पहुंचा हो. 1971 में जब भारत और पाकिस्तान की सेनाओं सरहद पर एक-दूसरे से सामने बंदूकें ताने खड़ी थीं, तब भारत की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास पहुंची थीं.
इंदिरा गांधी ने 1971 में लेह में सैनिकों को संबोधित किया था, जो कि गलवान घाटी से करीब 220 किलोमीटर दूर है. आज पीएम मोदी से लेह दौरे पर कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा की तस्वीर शेयर की है और तंजा कसा है, 'उनके (इंदिरा गांधी) लेह दौरे के बाद पाकिस्तान दो भागों में टूट गया था, अब देखते हैं कि यह क्या करते हैं?' बता दें कि 1971 में ही भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था, जहां से बांग्लादेश का जन्म हुआ था.
यह भी पढ़ें: सरहद पर प्रधानमंत्री की चीन को दो टूक, जानें PM मोदी के भाषण की 10 बाते
आज चीन और भारत के बीच तनातनी जारी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरहद के पास पहुंचकर चीन के अंदर हलचल पैदा कर दी है. मोदी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के साथ सुबह करीब साढ़े नौ बजे लेह पहुंचे और वहां निमू में, जो एक अग्रिम स्थल है, थलसेना, वायुसेना एवं आईटीबीपी के कर्मियों से बातचीत की. सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को सीमा पर मौजूदा स्थिति से अवगत कराया. सिंधु नदी के तट पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है. यह जंस्कार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है.
Source : News Nation Bureau