Lok Sabha Speaker Salary: देश में लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर इस समय चर्चा का माहौल गर्म हैं. भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के कुछ सहयोगी जहां इस महत्वपूर्ण पद के लिए अपने दल का नेता चाहते हैं तो बीजेपी इस पोस्ट को किसी भी कीमत पर अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहती है. यही वजह है कि इस पशोपेश में अभी तक स्पीकर के नाम का ऐलान नहीं हो पाया है. हालांकि कुछ नाम चर्चा में जरूर हैं. ऐसे में लोगों के मन में लोकसभा स्पीकर और उनको मिलने वाली सुविधाओं और वेतन को लेकर तमाम सवाल हैं. आइए आपको बताते हैं कि लोकसभा स्पीकर को कितना वेतन और क्या क्या सुविधाएं मिलती हैं.
कितना मिलता है वेतन
लोकसभा स्पीकर को राज्यसभा के सभापति यानी की उपराष्ट्रपति के समान मासिक वेतन और दूसरे भत्ते मिलते हैं. लोकसभा का स्पीकर संसद का ही एक सदस्य होता है, इसलिए उसे 1954 के संसद अधिनियम के तहत वेतन, भत्ते और पेंशन मिलती है. इस अधिनियम को दिसंबर 2010 में संशोधित किया गया था. अधिनियम के मुताबिक एक लोकसभा स्पीकर को ₹50,000 प्रति माह वेतन मिलता है. साथ ही स्पीकर को 45,000 प्रति माह का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी मिलता है. इसके अलावा स्पीकर को उसके पूरे कार्यकाल के लिए संसदीय सत्र या अन्य समितियों की बैठक में भाग लेने के दौरान ₹2000 का दैनिक भत्ता भी दिया जाता है. कार्यकाल पूरा होने के बाद स्पीकर को संसद का सदस्य होने के नाते 2010 के संसद बिल के मुताबिक ₹20,000 की मासिक पेंशन मिलती है. पेंशन के अलावा स्पीकर को ₹1500 का अतिरिक्त भत्ता भी दिया जाता है.
लोकसभा स्पीकर मिलती हैं क्या-क्या सुविधाएं
वहीं संसद का सदस्य होने के नाते स्पीकर को वो सभी सुविधाएं मिलती हैं, जो एक सांसद को दी जाती है. स्पीकर और उसके परिवार को सदन के मंत्रिमंडल के बराबर यात्रा भत्ता भी दिया जाता है. लोकसभा स्पीकर चाहे देश के भीतर यात्रा कर रहा हो या विदेशी दौरा कर रहा हो, उसे मिलने वाली सुविधाओं में फ्री आवास, फ्री यात्रा और फ्री बोर्डिंग शामिल है. स्पीकर को उसके पूरे कार्यकाल के दौरान भारत सरकार की तरफ से किराये से मुक्त दिल्ली में ही आवास की भी सुविधा दी जाती है. आवास के साथ फ्री बिजली एक तय सीमा तक फ्री फ़ोन कॉल की सुविधा मुक्त नौकर और मुक्त कर्मचारियों की सुविधा भी स्पीकर को दी जाती है. इनके अलावा स्पीकर और उनके परिवार को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं भी मिलती है. लोकसभा स्पीकर लोक सभा के सदस्यों के बीच से ही चुना जाता है. नवगठित लोकसभा की पहली बैठक में ही सदस्यों के बीच से अध्यक्ष यानी स्पीकर का चुनाव होता है. स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया बेहद सामान्य होती है. सदन में मौजूद लोकसभा के सदस्य बहुमत के आधार पर स्पीकर का चयन करते हैं.
कैसे होता है लोकसभी स्पीकर का चुनाव
आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी या सत्ताधारी गठबंधन अपने एक सदस्य को अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ परामर्श के बाद स्पीकर के रूप में चुनती है. प्रधानमंत्री स्पीकर के तौर पर चुने जाने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखते हैं और मंत्रिमंडल के सदस्य और सत्ताधारी गठबंधन के नेता उस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं. इसके बाद एक साधारण मतदान प्रक्रिया होती है और स्पीकर चुन लिया जाता है. स्पीकर चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और बाकी नेतागण उनकी कुर्सी पर जाकर उन्हें सम्मानित करते है. वहीं लोकसभा स्पीकर का कार्यकाल 5 साल का होता है और वो अन्य लोकसभा सदस्यों की ही तरह एक सदस्य की रूप में शपथ लेता है.
क्या हैं लोकसभा स्पीकर की शक्तियां
लोकसभा का स्पीकर लोक सभा के सत्रों की अध्यक्षता करता है और सदन के कामकाज का संचालन करता है. स्पीकर इस बात का निर्णय करता है की कोई भी विधेयक धन विधेयक है या नहीं. सदन के अंदर मर्यादा और अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी भी स्पीकर की ही होती है. स्पीकर को सदन की मर्यादा तोड़ने और अनुशासन भंग करने पर किसी भी सदस्य के खिलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार होता है. लोकसभा स्पीकर अलग अलग तरह के प्रस्ताव को जैसे अविश्वास प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, सेंसर, मोशन आदि को लाने की अनुमति देता है. स्पीकर ही ये तय करता है कि सदर. की बैठक में क्या एजेंडा लिया जाना है?
Source : News Nation Bureau