ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के लिए इधर कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है. खासकर पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से बालाकोट पर की गई एयर स्ट्राइक के बाद से तो वह हर मोर्चे पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है. अब इस कड़ी में एक और मामला जुड़ने जा रहा है, जो हैदराबाद के निजाम की रकम से संबंधित है. यह मुकदमा भारत-पाकिस्तान के बीच कई दशकों से चला आ रहा है. इसके तहत 35 मिलियन पौंड यानी करीब 3 अरब 8 करोड़ रुपये की लड़ाई में अब निर्णायक स्थिति आ पहुंची है.
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छह हफ्ते में आने वाला है फैसला
बताते हैं कि इंग्लैंड की एक अदालत में चल रहे इस मामले में आगामी छह सप्ताह में फैसला भारत के पक्ष में आ सकता है. यह पैसा हैदराबाद के निजाम का है. उन्होंने साल 1948 में लंदन के नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पौंड यानी करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये भेजे थे. यह राशि अब तीन अरब रुपए पहुंच गई है. असल में साल 1948 में हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान हुआ करते थे. उनका विभाजन के बाद बने पाकिस्तान से बेहद लगाव था. पाकिस्तान बंटवारे के बाद से ही लगातार पैसे की कमी का रोना रोकर अपने सभी हमदर्दों को अपनी बेचारगी दिखाता रहता था. जाहिर है उसकी नजर हैदराबाद के निजाम की दौलत पर भी थी.
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पाकिस्तान के ब्रिटेन में उच्चायुक्त रहे थे पैसा निकालने में नाकाम
भारतीय संघ में रियासतों के विलय के कुछ नियम-कायदे और शर्ते भी थीं. इनके तहत सीधे तौर पर भारत से पाकिस्तान पैसे नहीं भेजे जा सकते थे. इसलिए हैदराबाद के निजाम ने पाकिस्तान के ब्रिटेन में उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के लंदन बैंक खाते में पैसे भेज दिए, लेकिन वे इसे निकालने में सफल नहीं हो पाए. बाद में इस पैसे पर भारत समर्थक निजाम के वंशजों ने दावा ठोंक दिया. जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो पाकिस्तानी उच्चायुक्त बनाम सात अन्य का मामला बना. इस अन्य में निजाम के वंशज, भारत सरकार और भारत के राष्ट्रपति भी शामिल हैं.
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भारत का दावा मजबूत
जस्टिस मार्कस स्मिथ की ब्रिटिश कोर्ट में यह मामला अब निर्णायक स्थिति में पहुंच चुका है. दशकों से चले आ रहे इस मामले में भारत का पक्ष काफी मजबूत है, क्योंकि जिसका पैसा है उसके वंशज भारत के साथ हैं. आखिरी दौर की सुनवाई दौरान भी यही जाहिर हो रहा था कि अब पाकिस्तान के लिए यह केस जीतना मुश्किल हो गया है. उम्मीद है आगले महीने इस पर फैसला सुना दिया जाएगा. लंदन के नेटवेस्ट बैंक पीएलसी में जमा इस पैसे को लेने के लिए हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जेह और उनके छोटे भाई मुफाखाम जेह भारत सरकार के साथ हैं.
HIGHLIGHTS
- 3 अरब 8 करोड़ रुपये की लड़ाई में अब निर्णायक स्थिति आ पहुंची है.
- हैदराबाद के निजाम के वंशज हैं भारत सरकार के साथ.
- रियासत के विलय की शर्तों के बलबूते भारत का पलड़ा भारी.