कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले जितिन प्रसाद ने साफ कहा कि वह बीजेपी में अचानक शामिल नहीं हुए हैं. इसका फैसला काफी सोच विचार के बाद लिया गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से तीन पीढ़ियों का साथ रहा है. अचानक निर्णय नहीं हुआ है. मैंने काफी सोच समझकर विचार विमर्श करके कदम उठाया है. जन भावनाओं को देखते हुए निर्णय लिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि नेतृत्व और सही मायने में एक राजनीतिक दल बीजेपी है और वह सक्षम है. इसलिए मैंने यह कदम उठाया है.
लंबी पारी खेलने आया हूं
जितिन प्रसाद ने अपनी भूमिका को लेकर कहा कि मैं क्षणिक लाभ के लिए नहीं आया हूं. बीजेपी में एक लंबी पारी खेलने आया हूं. मैं मेहनत करूंगा, संगठन के लिए पार्टी के लिए आगे मेरा कार्य बोलेगा. ब्राह्मण के मुद्दे पर कहा कि ये तो जनता तय करेगी. ब्राह्मण चेतना परिषद से मैं जुड़ा हुआ था. ब्राह्मणों की आवाज उठाता रहा अब मैं और भी कार्य करने में सक्षम होगा. योगी आदित्यनाथ हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. उनका कार्य हम देख रहे हैं 4 सालों से कितना उन्होंने कार्य किया है. प्रदेश के लिए संसद में भी मैं उनके साथ रहा हूं. 10 साल तक उनसे भेंट करूंगा और मार्गदर्शन लूंगा. हमारा प्रयास रहेगा कि आने वाले चुनाव में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी.
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गौरतलब है कि कांग्रेस में उत्तर भारत के बड़े चेहरे और राहुल और प्रियंका गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद ने बुधवार को बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी मुख्यालय में उन्होंने पीयूष गोयल और अनिल बलूनी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली. जितिन प्रसाद पिछले काफी समय से कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. बीजेपी में शामिल होने से पहले उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है. इस बड़े राजनीतिक परिवर्तन के पीछे बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोय़ल की अहम भूमिका रही है.
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बता दें हाल ही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल चुनाव में जितिन राज्य के प्रभारी थे और वहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी. बीते साल ही जितिन प्रसाद ने अपनी अगुवाई में एक ब्राह्मण चेतना परिषद नाम से संगठन स्थापित किया था. बीजेपी का जितिन प्रसाद को पार्टी में लाने का मकसद है कि पार्टी के नाराज चल रहे ब्राह्मण समुदाय के लोगों को साधा जा सके. गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से यह कहा जा रहा था कि वे ठाकुरों का पक्ष ज्यादा ले रहे हैं और प्रशासन में नियुक्ति तक पर योगी पर इस प्रकार के आरोप लगे.