आयकर विभाग का कहना है कि लगभग 18 लाख़ लोगों के अकाउंट्स पर निगरानी रखी जा रही है। ये वैसे लोग हैं जिन्होंने नोटबंदी के बाद से अपने अकाउंट्स के ज़रिये अवैध पैसों का लेनदेन किया है। इन सभी लोगों पर 31 मार्च के बाद यानी कि नए वित्तीय वर्ष में कार्रवाई की जायेगी।
आयकर विभाग ने नोटबंदी की अवधि के दौरान पांच लाख रुपये से अधिक की बैंक जमा करवाने वाले 18 लाख लोगों को अपने ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के तहत एसएमएस और ईमेल भेजे थे। इन खाताधारकों से कहा गया था कि वे जमाओं और धन के स्रोत के बारे में 15 फरवरी तक स्पष्टीकरण दें।
आयकर विभाग ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वैसे लोग जिन्हें नोटिस भेजा गया है वो अपने जमा किये गये पैसों की जानकारी दें या फिर इनकम टैक्स में इन पैसों को दर्शायें।
विभाग फिलहाल किसी भी खाताधारक के ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं ले सकता, लेकिन अगर 31 मार्च के बाद भी कोई खाताधारक सोर्स ऑफ़ इनकम छुपाने की कोशिश करते पाये गए तो इन लोगों पर सख़्त कार्रवाई की जायेगी।
दरअसल 31 मार्च तक प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना चलाई जा रही है और इस दौरान किसी भी खाताधारकों पर कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसलिए आयकर विभाग इंतज़ार कर रहा है कि अगर इस दौरान संदिग्ध खाताधारकों में सो कोई भी अपने सोर्स ऑफ़ इनकम की जानकारी सरकार को बता देता है तो वो किसी भी तरह की लीगल कार्रवाई से बच जायेंगे।
सूत्रों ने कहा कि एसएमएस पाने वाले 18 लाख खातों में से 9 लाख बैंक खातों को ही संदिग्ध श्रेणी में रखा गया है। वहीं, 5.27 लाख लोगों ने 12 फरवरी तक जवाब दे दिया है। इनमें से 99.5 फीसदी लोगों ने नोटबंदी के बाद जमा किए गए धन को बताया है।
जिसने भी इन मैसेज और ईमेल के जवाब नहीं दिए हैं, उनके पास इस कैश को जमा करने के मामले में अच्छा कानूनी स्पष्टीकरण होना जरूरी है। उन्हें अपना आयकर रिटर्न भी दिखाना पड़ सकता है। अगर 31 मार्च के बाद भी ये लोग पैसों की जानकारी नहीं देते हैं तो इनपर सख़्त कार्रवाई होगी।
Source : News Nation Bureau