वायु सेना प्रमुख अरूप राहा ने अग्नि-5 के परीक्षण पर चीन की चिंताओं को दरकिनार करते हुए कहा है कि भारत को शक्ति संतुलन को बनाए रखने की दिशा में काम करते रहना चाहिए।
उन्होंने चीन पर हमला करते हुए कहा कि इन बातों पर तब तक किसी को नहीं बोलना चाहिये जब तक कि परमाणु जैसी बात न हो। उन्होंने कहा कि हमें तब तक नहीं बोलना चाहिये जब तक कि वो प्रतिबंधित न हो।
उन्होंने कहा, "जैसे परमाणु अप्रसार को ही लें, ये सबको मालूम है कि इस क्षेत्र में इसको लेकर क्या हो रहा है चाहे वो तकनीक हो या फिर मिलीभागत की बात हो, ये सबको पता है मैं कुछ नया नहीं कह रहा हूं।"
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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि ये सच है कि भारत अपनी क्षमताएं बढ़ा रहा है लेकिन ये पूरी तरह से नियमों के तहत है और किसी देश विशेष को निशाना बनाकर नहीं क्योंकि हम शांति में विश्वास करते हैं।
भारत के शक्ति संतुलन की क्षमता बढ़ाने पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश को अपनी क्षमता बढ़ानी चाहिये..."ताकि शत्रु की जमीन के अंदर तक मार कर सकने की क्षमता हो" जो एक अवरोधक के तौर पर काम करेगा।
अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर है और पूरा चीन इसकी जद में आता है।
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वायुसेना प्रमुख अरूप राहा चीफ ऑफ स्टाफ कमीटी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, कूटनीति और सैन्य कूटनीति हमेशा रहेगी और उसके तहत प्रतिक्रियाएं भी आएंगी..... हमें अपना काम करते रहना है, हमारी रक्षा और सुरक्षा ज़रूरतों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।"
उन्होंने कहा, "हमने कई बार युद्ध का सामना किया है। इतिहास को देखते हुए हमें अपनी क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है। शत्रु को रोकने की क्षमता। हम एक ताकतवर दुश्मन को कैसे रोक सकते हैं इसके लिये हमें क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है।"
वायुसेना अध्यक्ष अरूप राहा 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं।
Source : News Nation Bureau