हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए देश में 18वां स्क्वाड्रन ऑपरेशनल प्रारंभ हो गया है. स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस (Tejas) के साथ यह स्क्वाड्रन ऑपरेशनल किया गया. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने खुद वायुसेना तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर इसकी शुरुआत की है. तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास सुलुर स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर 18वें स्क्वाड्रन में तेजस को तैनात की गई है.
यह 18वां स्क्वाड्रन एलसीए तेजस से सुसज्जित दूसरा स्क्वाड्रन है. भारतीय वायु सेना के लिए आज का दिन बेहद खास है, क्योंकि पहली बार स्वदेशी लड़ाकू विमान हिंदुस्तान की रखवाली करेगा. चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हिन्द महासागर में 18वें स्क्वाड्रन को ऑपरेशनल किया गया है.
भारतीय वायुसेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदा है. 18वें स्क्वाड्रन को फ्लाइंग बुलेट्स भी कहते हैं. 15 अप्रैल 1965 में इसकी स्थापना की गई थी. इसका मकसद है तीव्र और निर्भय. पहले ये स्क्वाड्रन मिग 27 लड़ाकू विमान में उड़ान भरा करता था, जिसे 2016 में हटाया गया. 1971 में 18वें स्क्वाड्रन ने भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था और ये स्क्वाड्रन सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित है. मरणोपरांत फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
भारत में जिस तरह के हालात इस वक्त है. चीन और पाकिस्तान बार-बार इंडिया को नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहते हैं. उस लिहाज से वायुसेना के 18वें स्क्वाड्रन में तेजस का शामिल होना देश की सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
तेजस की ये है खासियत
भारत में बने स्वदेशी एयरक्राफ्ट अपने सेगमेंट में सबसे हल्का और सुपरसोनिक फोर्थ जेनरेशन का फाइटर जेट है. यह फाइटर जेट बियुंड विजयुल रेंज मिसाइल से लैस है, जो 50 किमी दूर से दुश्मनों पर निशाना लगा सकती है. ये एयरक्राफ्ट एयर टू एयर रिफ्यूलिंग तकनीक से लैस है. तेजस का FOC यानी फाइनल ओपरेशनल क्लीयेरेंस एयरक्राफ्ट है. वायुसेना में तेजस की जो पहली स्कॉवड्रन शामिल की गई थी, वो इनीशियल ऑपरेशनल क्लीयेरेंस थी.