सिक्किम के डाकोला (डोकलाम) में चीन के साथ काफी तनाव चल रहा है लेकिन चीन से संबंधित भारतीय वायु सेना की रणनीतिक मिसाइल प्रणाली अभी तक तैनात नहीं की गई है और इसमें चार साल की देरी की गई है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।
डाकोला (डोकलाम) में भारत और चीन के बीच तनातनी चल रही है और संसद में रक्षा से संबंधित सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है, 'खतरों को देखते हुए भारत सरकार ने 2010 में भारतीय वायुसेना के लिये 'S'सेक्टर में रणनीतिक मिसाइलों की तैनीती करने का फैसला लिया था। इस प्रणाली को विभिन्न चरणों में जून 2013 और दिसंबर 2015 के बीच तैनात किया जाना था।'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'लेकिन चार साल के बाद भी अभी तक इस महत्वपूर्ण प्रणाली का निर्माण नहीं किया गया है और राणनीतिक लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है।'
हालांकि सीएजी की रिपोर्ट में तैनात किए जाने वाले मिसाइल के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।, लेकिन माना जा रहा है कि जमीन से ज़मीन में मार करने वाले आकाश मिसाइल की चर्चा की गई है। दिसंबर 2008 में केंद्र सरकार ने आकाश मिसाइल को तैनात करने को मंजूरी दी थी।
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आकाश मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया है और इसे वायुसेना के शामिल कर पिचोरा मिसाइल सिस्टम की जगह तैनात किया जाना था। आकाश 30 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के एयरक्राफ्ट को गिरा सकता है। इसके अलावा वो 18,000 मीटर तक की ऊंचाई तक भी मार कर सकता है।
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ऑडिट में सीएजी ने पाया है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने जो मिसाइल सप्लाई की है वो गुणवत्ता में खरे नहीं पाए गए। 2014 से लेकर अब तक सप्लाई किए गए मिसाइलों में से 30 फीसदी टेस्ट फेल हो गए। ये अपने लक्ष्य को भेदने में कामयाब नहीं रहे। साथ ही जो रफ्तार होनी चाहिये थी वो नहीं प्राप्त कर पाई। साथ ही कई पुर्ज़ों में खामियां और काम नहीं कर पाईं।
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Source : News Nation Bureau