ऐसे समय में जब भारतीय वायु सेना (IAF) स्वदेशीकरण के लिए बल्लेबाजी कर रही है. वैसे में रूस से नए 21 मिग-29एस (MiG-29s) लड़ाकू विमानों को खरीदने और उन्हें स्वेदशी हथियार प्रणालियों लैस करने की तैयारी में है. इससे ये मिग-29एस लड़ाकू विमान और शक्तिशाली हो जाएंगे.
वायुसेना 21 मिग-29एस के अधिग्रहण का प्रस्ताव जल्द ही रक्षा अधिग्रहण परिषद के सामने रखने वाली है. जो मिग-29 इस समय भारतीय वायुसेना के पास हैं उन्हें नए मिग-29एस से अपग्रेड करने की तैयारी है. भारतीय वायुसेना यह भी चाहती है कि विमान को हवा से हवा में मार करने वाली 'एस्ट्रा मिसाइलों' सहित भारतीय हथियार प्रणालियों से लैस किया जाए.
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रक्षा सूत्रों के मुताबिक अन्य स्वदेशी उपकरण और हथियार हैं, जो सौदा होते ही विमान के साथ एकीकृत यानी उसमें लगाए जाएंगे. मिग-29 रूसियों के साथ एक नया एयरफ्रेम है और रूस में अप्रुक्त पड़ा हुआ था.
स्वदेशी हथियारों को बढ़ावा देने की खबर ऐसे समय में आई है जब भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वायुसेना लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम जैसे स्वदेशी प्रयासों का पूरी तरह से समर्थन करेगा.
भारतीय वायुसेना ने यह जांचने के लिए रिसर्च किया था कि क्या क्या प्रस्ताव पर मिग -29 के एयरफ्रेम लंबे समय तक काम करने के लिए पर्याप्त थे. मिग -29 को भारतीय वायुसेना द्वारा उड़ाया जाता है और पायलट इससे परिचित होते हैं लेकिन रूसियों द्वारा पेश की जाने वाली वस्तुएं भारतीय सूची में अलग हैं.
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भारतीय नौसेना मिग -29 'के' का भी संचालन करती है और विमान के इस संस्करण की एकमात्र ऑपरेटर है, यह उन विमानों के साथ एक कठिन अनुभव है जो बनाए रखना मुश्किल है और विमान वाहक पर उतरने के तुरंत बाद उनकी सेटिंग्स बदल जाती है.
भारतीय वायुसेना के पास मिग -29 के तीन स्क्वाड्रन हैं, जिन्हें अपग्रेड किया गया है और इसे वायु रक्षा भूमिकाओं में बहुत अच्छे विमान माना जाता है.