पूर्व सैन्यकर्मियों ने चीन के खिलाफ भरा दम, कहा-आदेश आए तो लड़ने के लिए तैयार

इन पूर्व सैनिकों का कहना है कि वे बेशक इस समय सेवा में नहीं हैं, लेकिन देश की सेवा करने का उनका जुनून हमेशा की तरह मजबूत है.

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
ex army man

पूर्व भारतीय जवान( Photo Credit : आईएएनएस)

Advertisment

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है और न ही उनकी ओर से लद्दाख के किसी क्षेत्र पर कब्जा किया गया है. फिर भी अतीत में बाहरी अतिक्रमणों के खिलाफ लड़ चुके पूर्व सैन्य दिग्गजों और पोर्टर्स का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर देश के लिए लड़ने को तैयार हैं. चीन और पाकिस्तान के साथ हुए पूर्व के संघर्षो में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके लद्दाख के पूर्व सैनिक उन गुजरे हुए लमहों को याद कर रहे हैं.

इन पूर्व सैनिकों का कहना है कि वे बेशक इस समय सेवा में नहीं हैं, लेकिन देश की सेवा करने का उनका जुनून हमेशा की तरह मजबूत है. कारगिल संघर्ष के दौरान पहाड़ की चोटियों से पाकिस्तान को खदेड़ने में भारतीय सेना के तत्कालीन जांबाज, कैप्टन ताशी छेपल का अहम योगदान रहा था. उनके अदम्य शौर्य को देखते हुए उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया है. वह कहते हैं कि मौजूदा गतिरोध और 1999 के कारगिल संघर्ष में समानताएं हैं. वह गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने से गुस्से में हैं.

उन्होंने कहा, हमारे पास 1962 के चीन युद्ध के दौरान पर्याप्त हथियार और उपकरण नहीं थे, लेकिन आज हमारे पास एक बहुत ही उन्नत सेना है. यह दुखद है कि गलवान घाटी में हमारे सैनिक शहीद हुए. उन्होंने कहा कि सैनिकों को हथियारों का उपयोग करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए, खासकर जब वे इस तरह की आक्रामकता का सामना करते हैं. सेना के पूर्व जांबाज ने पूछा, जब जवान इन हथियारों का इस्तेमाल उस समय नहीं करते हैं, जब वे मारे जा रहे हैं, तो वे कब करेंगे?

यह भी पढ़ें-UP की अर्थव्यवस्था 1000 अरब डॉलर की बनाने के लिए सलाहकार नियुक्त करेगी योगी सरकार

लद्दाखियों के शौर्य और वीरता की अनेक कहानियां हैं. फिर चाहे वह सैनिकों या स्वयंसेवकों रूप में पहाड़ की चोटी पर सामग्री ले जाने में मदद करने की हो या प्रतिकूल परिस्थितियों में 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान अपना अहम योगदान देना रहा हो. लद्दाख के शूरवीरों ने हमेशा भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना योगदान दिया है. सेवानिवृत्त हवलदार त्सेरिंग अंगदस ने कहा कि उन्होंने 22 वर्षों तक सेना की सेवा की है और वह एलएसी में गलवान घाटी और अन्य संवेदनशील स्थानों पर गश्त कर चुके हैं.

यह भी पढ़ें-श्रीनगर में 3 आतंकवादी हुए ढेर, कश्मीर IG पुलिस ने सुरक्षाबलों को दी बधाई

वह कहते हैं कि चीन की नजर हमेशा एलएसी पर भारतीय क्षेत्रों पर टिकी रही है, लेकिन भारत कभी भी चीन को उसकी संप्रभुता का उल्लंघन नहीं करने देगा. उनका कहना है कि अगर आदेश आते हैं तो वह सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेंगे. उन्होंने कहा, मैं हथियारों का उपयोग करने में प्रशिक्षित हूं. जब भी आवश्यकता होगी, मैं फिर से अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर अपने देश की सेवा के लिए तैयार हूं.

china ex-army man Former Indian Army Jawan Ground Report from Leh Indian-China Dispute
Advertisment
Advertisment
Advertisment