स्त्रियां सदा सुहागन रहने, दांपत्य जीवन में मधुरता के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं. इस व्रत में सौभाग्यवती स्त्रियां भगवान गणेश के साथ शिव-पार्वती और चन्द्रमा की पूजा करती हैं. पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात्रि में चन्द्रोदय के बाद अपने पति का चेहरा देखकर अपना व्रत खोलती हैं. व्रत पूर्ण करने से पहले चन्द्रमा को अर्घ्य देना जरूरी होता है.
यह भी पढ़ें : करवाचौथ पर चेहरे को दें चांद सा निखार, इन टिप्स को जरूर अपनाएं
करवा चौथ का व्रत तीन चार दिन पहले ही शुरू हो जाता है. इस व्रत में सास अपनी बहु को सरगी अर्थात श्रंगार का सामान और फल देती हैं. इसे सास की तरफ से अपनी पुत्र वधू को सौभाग्यवती बने रहने का आशीर्वाद माना जाता है.
संकल्प लेकर व्रत करें
करवा चौथ का व्रत संकल्प लेकर किया जाना चाहिए. संकल्प के दौरान इस मंत्र का जाप करना चाहिए – मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्येत.
संपूर्ण श्रृंगार
स्त्रियां इस दिन संपूर्ण श्रृंगार करती हैं. हिंदू मान्यता में लाल रंग का विशेष महत्व है. माना जाता है कि लाल रंग के वस्त्र धारण करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन काले और सफेद वस्त्र नहीं पहनने चाहिए.
चलनी में पति को देखती हैं
स्त्रियां इस दिन चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करती हैं और चलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं. ईश्वर के सामने यह प्रतिज्ञा लेती हैं कि वह तन, मन, वचन व कर्म से अपने पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी. करवा चौथ के दिन करवा का विशेष महत्व होता है. करवा मिट्टी का बर्तन होता है. स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु एवं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं. पूजा के बाद सौभाग्यवती स्त्रियां अनेक उपहारों के साथ यह करवा अपनी सास या सास के समान किसी उच्च महिला अथवा योग्य ब्राह्मण को दान करती हैं.
आवश्यक नियम
1- व्रतवती महिलाएं इस दिन किसी को भी दूध, दही, चावल, सफेद कपड़ा न दें
2- व्रती महिला भूलकर भी सास, ससुर, जेठ, जेठानी का अपमान ना करें
3- कुमारी कन्याएं माता गौरी की पूजा करें पूजा में गणेश जी को पीले फूल की माला, दूर्वा, लड्डू और केला चढाएं. शिवजी और पार्वती को बेलपत्र के साथ श्रंगार की सामग्री भी अर्पण करें.
4-मिट्टी के करवा में रोली से स्वास्तिक बनाएं.
Source : Yogita Bhagat