बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद पूरे लोकसभा चुनाव प्रचार (Loksabha Elections 2019) में मुखर रहे कई लोगों के मुंह में ताला सा लग गया है. इनमें से एक हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'एक्सपायरी पीएम' तक करार देने वाली बंगाल की सीएम अब बीजेपी की राज्य में दमदार धमक से खासी डरी हुई हैं. राज्य में तृणमूल कांग्रेस को 'एक्सपायरी' से बचाने की जद्दोजहद शुरू करने के साथ उन्होंने ऐसे गद्दारों की तलाश भी शुरू कर दी है, जिन्होंने बीजेपी (BJP) को टीएमसी (TMC) के वोट ट्रांसफर कराने में मदद की.
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बीजेपी ने किया ऐतिहासिक प्रदर्शन
गौरतलब है कि तमाम कयासों को धता बताते हुए बीजेपी ने इस बार दीदी के किले में धुसकर टीएमसी को जोरदार झटका दिया है. 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में बंगाल में बीजेपी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 लोकसभा सीटों (Loksabha Seats) पर कब्जा किया. यह अलग बात है कि आंकड़ों के आईने में कभी लेफ्ट और अब ममता के किले में बीजेपी की यह जीत जिस कल की ओर इशारा कर रही है, वह टीएमसी के एक्सपायरी (Expiry) होने की ओर ही इशारा करता है.
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टीएमसी की बढ़त कमल ने छीनी
चुनाव नतीजों के बाद विधानसभावार वोटों का विश्लेषण (Analysis) राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के लिए परेशानी भरे संकेत है. टीएमसी को राज्य की 42 में से मात्र 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है. इन्हें अगर विधानसभावार सीटों पर तब्दील करें, तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात्र 28 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी, जबकि इस बार के चुनाव में 128 क्षेत्रों में 'कमल' (Lotus Bloom) खिला है. उधर, साल 2014 में 214 क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने वाली टीएमसी केवल 158 विधानसभा क्षेत्रों में सिमटकर रह गई है.
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60 सीटों पर बीजेपी 4 हजार वोटों से हारी
यही वजह है कि इस आसन्न खतरे को भांप कर ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी के खराब प्रदर्शन और बीजेपी के 129 विधानसभा क्षेत्रों में लीड करने के कारणों की मूल में जाते हुए अपनी पार्टी के अंदर ही 'गद्दारों' की तलाश शुरू कर दी है. टीएमसी के एक सूत्र ने बताया कि भगवा पार्टी राज्य की अन्य 60 सीटों पर मात्र 4 हजार वोटों से हारी है, जो टीएमसी के लिए और ज्यादा चिंता की बात है. इसके अलावा कम से कम 192 ऐसे विधानसभा (Assembly Seats) क्षेत्रों की पहचान की गई है जो 'अशांत जोन' हैं. ये क्षेत्र ज्यादातर राज्य के नॉर्थ और पश्चिमी इलाके में हैं.
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'गद्दारों' की तलाश के आदेश
बताते हैं कि चिंतित ममता बनर्जी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को ब्लॉक स्तर पर ऐसे नेताओं की पहचान करने के लिए कहा है जिन्होंने सीपीएम (CPM) से बीजेपी और कुछ मामलों में टीएमसी से बीजेपी को वोट ट्रांसफर कराने में मदद की. टीएमसी के आंतरिक सर्वे में सामने आया है कि टीएमसी को जंगलमहल और उत्तरी बंगाल में 'गरीब लोगों के वोट' नहीं मिले. यह इलाका आदिवासी बाहुल्य है.
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सरकारी कर्मचारियों ने भी कन्नी काटी
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीएमसी शहरी और अर्द्ध शहरी इलाकों में तो अपना आधार बचाए रखने में सफल रही है, लेकिन करीब 70 लाख सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार का वोट पार्टी को नहीं मिला है, क्योंकि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) की सिफारिशों को राज्य में लागू नहीं किया गया. सरकारी लोगों के खफा होने के साथ-साथ अन्य कारणों ने भी टीएमसी की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एक वजह यह भी है कि वाम नेता कतई नहीं चाहते हैं कि ममता का केंद्र की राजनीति (Centre Politics) में कद बढ़े. इसलिए भी भितरघात की घटनाएं अधिक हुई हैं.
HIGHLIGHTS
- बंगाल में बीजेपी 60 सीटों पर महज 4 हजार वोटों से हारी है.
- 128 विधानसभा क्षेत्रों में खिले 'कमल' से 'फूल' मुरझाया.
- घबराई ममता ने पार्टी के 'गद्दारों' को ढूंढने को कहा.
Source : News Nation Bureau