दक्षिण भारत में लंबे समय से यह मांग चली आ रही है कि प्राचीन मंदिरों पर सरकारी कब्जे को हटाकर उसकी जिम्मेदारी हिंदू पुजारियों और पंडितों को दी जाए. यह अलग बात है कि इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है. ऐसे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अपने बजटीय भाषण में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि राज्यों के मंदिरों पर अब सरकारी नियंत्रण नहीं रहेगा. इसके पहले सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने मंदिरों का प्रबंधन आम लोगों के हाथों में देने की बात कही थी. उनका कहना था कि इस तरह इन पवित्र स्थलों का न सिर्फ भविष्य सुरक्षित रहेगा, बल्कि तभी पंथनिरपेक्षता की तस्वीर भी सही मायने में साकार हो सकेगी.
तभी साकार होगी पंथनिरपेक्षता
इसके साथ ही पंथनिरपेक्षता की परिभाषा बताते हुए सद्गुरु कहते हैं कि पंथनिरपेक्षता के मायने यही है कि सरकार धर्म के मामलों में दखल नहीं दे और धर्म सरकार के आड़े नहीं आए. इसे व्यक्त करते हुए सद्गुरु कहते हैं यही सही समय है जब मंदिरों का प्रबंधन सरकारी तंत्र के हाथों से निकल भक्तों के जिम्मे आए. सद्गुरु ईशा फाउंडेशन नामक मानव सेवी संस्थान के संस्थापक हैं. ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है. साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करते हैं. इन्हें संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (अंग्रेजी: ECOSOC) में विशेष सलाहकार की पदवी प्राप्त है. उन्होने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की है. सन् 2017 में भारत सरकार द्वारा उन्हें सामाजिक सेवा के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है.
HIGHLIGHTS
- सीएम बोम्मई की बजट सत्र में महत्वपूर्ण घोषणा
- दक्षिण में सद्गुरु इसके लिए चला रहे अभियान