बुधवार को कुपवाड़ा के तंगधार और गुरेज सेक्टर में अलग-अलग हुए हिमस्खलन में शहीद चार जवानों के शव बरामद हो गए. पहले तंगधार में तीन जवानों के गायब होने की सूचना थी. इसके बाद सेना की ओर से चलाए गए बचाव एवं राहत अभियान में तंगधार में तीन और गुरेज में एक जवान का शव बरामद हुआ. बीते कुछ दिनों से हिमस्खलन की घटनाओं में भारतीय सेना के कई जवान शहीद हो चुके हैं. सियाचिन ही में पखवाड़े भर के भीतर आए दो हिमस्खलनों में आधा दर्जन के लगभग जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
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तंगधार में एक जवान बचाया गया
प्राप्त जानकारी के अनुसार तंगधार में मंगलवार की देर रात हुए हिमस्खलन की चपेट में भारतीय सेना की एक पोस्ट आ गई. मंगलवार को ही गुरेज सेक्टर में भारतीय सेना की एक पेट्रोल पार्टी भी हिमस्खलन की चपेट में आ गई. जानकारी मिलने पर सेना ने बचाव एवं राहत कार्य छेड़ा. बुधवार को तंगधार में जवानों के तीन शव बरामद हो गए, तो गुरेज में भी एक जवान का शव मिला. तंगधार में एक जवान को बचा लिया गया है. गौरतलब है कि सियाचिन समेत जम्मू-कश्मीर के कई बर्फीले इलाकों में इन दिनों हिमस्खल की कई घटनाएं सामने आई हैं.
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सर्दी के मौसम में बढ़ जाते हैं हिमस्खलन
गौरतलब है कि शनिवार को लद्दाख में दक्षिणी सियाचिन के हिस्से में हुए हिमस्खलन में दो भारतीय जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. बीते दो हफ्तों में सियाचिन में हुआ यह दूसरा हिमस्खलन था. इसके पहले 18 नवंबर को आए हिमस्खलन में सेना के चार जवानों समेत दो पोर्टर भी मारे गए थे. विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दी के मौसम में हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं कुछ ज्यादा ही होती है. इन दिनों भारत के इन हिस्सों का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. ऐसे में भारतीय सीमा की रखवाली तो बड़ी चुनौती होती ही है, साथ ही जवानों को अपने आप को रूह कंपाने वाली सर्दी में बचाए रखना भी बड़ी चुनौती साबित होती है.
HIGHLIGHTS
- तंगधार और गुरेज में हुए हिमस्खलन में शहीद चार जवानों के शव बरामद.
- सियाचिन में हिमस्खलन में पखवाड़े में शहीद हो चुके हैं आधा दर्जन जवान.
- सर्दी में बढ़ जाती हैं हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं.