आयकर विभाग ने केयर्न एनर्जी पीएलसी को पुराने सौदे के मामले में 10,247 करोड़ रुपये का कर लगाया है। आयकर विभाग ने यह पूर्ववर्ती टैक्स (रेट्रोस्पेक्टिव) अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनी ब्रिटिश ऑयल फर्म के इंटरनेशनल ऑब्रिट्रेशन पैनल का रुख करने की चुनौती हारने के बाद लगाया है।
सूत्रों के मुताबिक, विभाग ने इसके लिए पुरानी सब्सिडियरी कंपनी केयर्न इंडिया (जोकि अब वेदांता लिमिटेड है) में अपनी शेष हिस्सेदारी से 10.4 करोड़ डॉलर का लाभांश निकालने और इसकी वजह से एक अन्य 1500 करोड़ रुपये टैक्स रिटर्न के लिए लगाया है।
यह कदम तब लिया गया है जब पिछले हफ्ते इंटरनेश्नल ऑब्रिट्रेशन पैनल ने फैसला लिया था कि केर्यन एनर्जी की पुराने सौदे पर कर न चुकाने की मांग वाली याचिका दायर पर सुनवाई न करने का फैसला किया था।
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सूत्रों के मुताबिक इसके बाद आयकर विभाग को अब केयर्न इंडिया में केयर्न एनर्जी की 9.8 प्रतिशत हिस्सेदारी को अधिग्रहित करना होगा। केयर्न एनर्जी ने कर विभाग के कदम के बारे में पुष्टि की है।
16 जून 2017 को आयकर विभाग ने वेदांता इंडिया लिमिटेड को नोटिस जारी कर केयर्न के कारण किसी भी राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। केयर्न और वेदांता लिमिटेड की वजह से कुल 10.4 करोड़ डॉलर और 5.3 करोड़ डॉलर के ऐतिहासिक लाभांश और सीआईएल और वीएल के विलय के बाद 5.1 करोड़ डॉलर का लाभांश शामिल हैं।
कंपनी ने कहा कि हालांकि वो इंटरनेश्नल ऑर्बिट्रेशन में पुराने सौदे पर लगाए गए टैक्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रखेगी।
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कंपनी ने कहा कि अपने इस मामले पर पूरा भरोसा है कि संधि के तह्त पुराने सौदों पर लगने वाले टैक्स मामले में कंपनी, कैर्न इंडिया में ग्रुप की अतिरिक्त हिस्सेदारी के मूल्य के बराबर नुकसान की मांग करता है, जो कि 1 अरब डॉलर था जिस समय कंपनी केयर्न इंडिया से जुड़ी हुई थी।
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Source : News Nation Bureau