देशभर में स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 15 अगस्त को देश अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इसकी तैयारियां भी जोर-शोर से शुरू हो गई हैं. 15 अगस्त यानी वो दिन जब देश को आजादी मिली थी, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर 15 अगस्त को ही देश को आजाद क्यों किया गया. इस तारीख को चुनने की वजह क्या थी. अगर नहीं पता तो अब जान लीजिए.
दरअसल इस तारीख को चुनने की कहनी शुरू होती है उस प्रेस कॉऩ्फ्रेंस से जो लॉर्ड माउंटबेटन ने बुलाई थी ये बताने के लिए भारत की आजादी के साथ ही कैसे भारत को दो हिस्सों (भारत और पाकिस्तान) में बांटा जाएगा और कैसे करोड़ो लोगों का विस्थापन होगा. इसका जिक्र फेमस किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में भी किया गया जिसमें लिखा है कि कैसे माउंटबेटन बताते हैं कि देश को आजाद करने की तारीख होगी 15 अगस्त 1947.
यह भी पढ़ें: Independence day 2019: स्वतंत्रता दिवस से पहले दिल्ली के ये रास्ते रहेंगे बंद, ट्रैफिक पुलिस का अलर्ट
जब प्रेसकॉन्फ्रेंस में अचानक एक सवाल पर चुप हो गए माउंटबेन
ये किस्सा आजादी से करीब ढाई महीने पहले का है. बताया जाता है कि महात्मा गांधी को बंटवारे के लिए मनाने के बाद माउंटबेन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे भारत को आजाद करने के साथ ही इसके दो हिस्से किए जाएंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिर में एक पत्रकार ने उनसे पूछा की भारत को आजाद करने की तारीख क्या होगी. तो इस पर माउंटबेटन चुप हो जाते हैं. दरअसल उन्होंने अब तक वो दिन ही तय नहीं किया तथा जब भारत को आजादी मिलती. ऐसे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद सभी लोग चुप हो जाते हैं और माउंटबेटन के जवाब का इंतजार करते हैं. इधर माउंटबेटन इस सोच में डूबे रहते हैं कि आखिर भारत को स्वतंत्र करने के लिए कौन सा दिन तय किया जाए. वो तमाम तारीखों पर विचार करते हैं फिर अचानक 15 अगस्त 1947 पर आकर अटक जाते हैं. इसके बाद वो ऐलान करते हैं कि भारत को आजाद करने का दिन 15 अगस्त 1947 होगा.
क्या थी इस दिन को तय करने की वजह?
माउंटबेटन के ऐलान के साथ ही वो तारीख भी तय हो गई जब भारत सैंकड़ों वर्षों की गुलामी से आखिरकार आजाद होने वाला था. भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त के दिन को चुनने के पीछे माउंटबेटन के पास एक विशेष कारण था जिसके चलते उन्होंने ज्योतिषियों के विरोध के बावजूद तारीख को नहीं बदला. ये कारण था दो साल पहले यानी 15 अगस्त 1945 को जापान से मिली जीत. दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के दिन ही जापान ने बगैर किसी शर्त के ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण किया था. लॉर्ड माउंटबेटन उस समय ब्रिटिश सेना के कमांडर थे. जापान का आत्मसमर्पण उनके लिए बहुत बड़ी जीत थी और इसी वजह से 15 अगस्त के दिन को भी वो बेहद खास मानते थे. यही वजह कि इस खास जीत की दूसरी वर्षगांठ पर उन्होंने भारत को आजाद करने का फैसला किया.
यह भी पढ़ें: 26 जनवरी से कैसे अलग होता है 15 अगस्त पर होने वाला ध्वजारोहण, जानिए
क्यों विरोध कर रहे थे ज्योतिष?
देश के ज्योतिषों को जब पता चला कि देश को स्वतंत्र करने के लिए 15 अगस्त 1947 का का दिन तय किया गया है तो उन्होंने इस तारीख का जमकर विरोध किया. दरअसल 15 अगस्त 1947 को शुक्रवार था और ज्योतिषों का मानना था कि ये तारीख भारत के लिए अपशकुन है. उनका मानना था कि अगर भारत इस दिन आजाद हुआ तो कोहराम मच जाएगा. कई लोग मारे जाएंगे. यही वजह थी कि कोलकाता के संत ने माउंटबेटन को चिट्ठी भी लिख डाली थी जिसमें उन्होंने उनसे तारीख बदलने के लिए कहा था लेकिन माउंटबेटन अपने फैसले पर अड़े रहे और आखिरकार 15 अगस्त 1947 को ही देश आजाद हुआ.