Independence Day 2022: स्वतंत्रता दिवस से पूर्व लाल किले के आसपास सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह कड़ी कर दी गई है. इसके लिए सभी जरूर इंतजाम कर लिए गए हैं. इस बीच ड्रोन सहित मानव या मानव रहित उड़ने वाली वस्तुओं से किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले लाल किले के पास एक स्वेदेशी निर्मित ड्रोन-विरोधी प्रणाली स्थापित की है. डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा कि इस सिस्टम के पास एक जैमर की मदद से लगभग 4 किमी के दायरे में एक ही समय में कई ड्रोन का पता लगाने और निष्क्रिय करने की क्षमता है, जो इसके ठीक बगल में स्थापित किया गया है. इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस से पहले राष्ट्रीय राजधानी और कई अन्य शहरों में संभावित आतंकी हमले की चेतावनी देते हुए पांच नए अलर्ट जारी किए हैं.
लाल किले पर सोमवार को होने वाले झंडारोहण समारोह के दौरान कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चेतावनी दी गई है कि आतंकवादी आईईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं. तकनीकी प्रगति के साथ आतंकवादी उड़ती हुई वस्तुओं का उपयोग करके लाल किले पर हमला कर सकते हैं. इसके चलते लाल किले के पास पतंग सहित उड़ने वाली वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया गया है. ऐसी सभी धमकियों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर पर्याप्त उपाय किए हैं.
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दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "रणनीतिक स्थानों पर आवश्यक उपकरणों के साथ पतंग पकड़ने वालों को तैनात किया गया है, जो पतंग, गुब्बारों और चीनी लालटेन को समारोह स्थल तक पहुंचने से रोकेंगे." इसके अलावा छतों से निगरानी रखने के लिए पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है जो पतंग पकड़ने वालों के साथ समन्वय करेंगे. इस उद्देश्य के लिए उनके लिए दो दौर के प्रशिक्षण और ब्रीफिंग का आयोजन किया गया है. अधिकारी ने कहा, "धार्मिक स्थलों से घोषणाएं की गई हैं और लोगों से 13 से 15 अगस्त तक क्षेत्र में पतंग नहीं उड़ाने का आग्रह किया गया है." ड्रोन के प्रभाव को कम करने और निष्क्रिय करने के लिए काउंटर-ड्रोन सिस्टम लगाया गया है. यह सिस्टम कई सेंसर का उपयोग करके ड्रोन का पता लगा सकता है, ट्रैक कर सकता है और पहचान सकता है. साथ ही सूचना को संबंधित सिस्टम में स्थानांतरित कर सकता है और काउंटर तकनीकों को उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाता है. ड्रोन का पता लगाना रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित डिटेक्शन सिस्टम की मदद से किया जाता है. यह पहचान इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर और COMINT की मदद से की जाती है.