15 अगस्त स्वंतत्रता दिवस को लेकर लाल किले के अंदर और बाहर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. चाहे कोरोना से बचाव की बात हो या अन्य सुरक्षा कारणों से लाल किला परिसर पर सख्त पहरा बना हुआ है. इस बार भी कोरोना के कारण स्वतंत्रता दिवस पर नियमों का पूरी तरह से पालन करना होगा, लाल किला परिसर में कोरोना से बचाव के लिए लाल किले में मौजूद सभी स्टाफ के लिए दो दिन का वैक्सीनेशन कैम्प लगवाया गया था. लाल किले की प्राचीर पर ही प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण करते हैं और देश को संबोधित करते हैं.
प्रधानमंत्री के नजदीक सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों और अन्य स्टाफ का 15 अगस्त से ठीक दो दिन पहले कोरोना जांच कराई जाएगी, वहीं जिनका टीकाकरण नहीं हो सका है उनका टीकाकरण भी कराया जाएगा. पिछली बार की तरह इस बार भी सीमित कुर्सियां लगाई गई हैं, वहीं प्रधानमंत्री के आस पास बैठने वाले सभी नेताओं की कुर्सियां दो गज की दूरी का पालन करते हुए लगाई जाएंगी. स्वतंत्रता दिवस पर एनसीसी कैडेट्स के छात्रों को बुलाया जाएगा, हालांकि इनकी संख्या भी सीमित रहेगी.
जानकारी के मुताबिक, इसके अलावा ओलंपिक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को भी इस बार प्रधानमंत्री के नजदीक जगह मिलेगी. उनके आवागमन के लिए एक अलग से कॉरिडोर बनाया गया है. लाल किला परिसर में कोरोना से बचाव के लिए समय अनुसार सैनिटाइज किया जा रहा है. दूसरी ओर लाल किला के आस पास सुरक्षा का इतना सख्त पहरा लगाया गया है की परिंदा भी पर न मार सके.
दिल्ली पुलिस ने लाल किले के मुख्य द्वार के बाहर बड़े-बड़े कंटेनर लगाए हैं, इससे लाल किले को सामने से नहीं देखा सा सकेगा. करीब 15 से 20 कंटेनरों का इस्तेमाल किया गया है. 15 अगस्त को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही अलर्ट जारी किया हुआ है. किसानों के आंदोलन और खालिस्तानी आतंकियों की धमके के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने ये कदम उठाना पड़ा है. स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने इंतजाम सख्त कर दिए हैं. इसके अलावा एंटी ड्रोन रडार सिस्टम का भी सहारा लिया जाएगा, ताकि किसी तरह का कोई ड्रोन लाल किले के आस पास न उड़ सके. इसकी एंटी रडार ड्रोन की रेंज 5 किलोमीटर तक की होती है.
दिल्ली पुलिस ने लाल किले के आसपास आतंकवादियों के पोस्टर भी चिपकाए हैं. पोस्टर में छह आतंकियों की फोटो लगाकर उनका नाम, पता भी लिखा हुआ है. दरअसल इस साल कृषि कानून के खिलाफ बॉर्डर पर बैठे किसान पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है. इससे पहले 26 जनवरी को किसान आंदोलन के दौरान जमकर हिंसा फैली थी. जिसके कारण इस बार हर संभव कोशिश की जा रही है की किसी तरह कोई लापरवाही न बरती जाए. हालांकि 15 अगस्त के मौके पर दिल्ली हमेशा हाई अलर्ट पर रहती है.
Source : News Nation Bureau