भारतीय वायु सेना (IAF) पूर्वी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच अगले महीने की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh), असम (Assam) और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में फ्रंटलाइन लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, अन्य विमानों और ड्रोन के साथ एक प्रमुख हवाई युद्ध अभ्यास (Military Drill) करेगी. गौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पूर्वी सेक्टर में 2020 के हिंसक संघर्ष के बाद 32 महीने से तनाव की स्थिति जारी है. बताते हैं कि यह कमांड स्तरीय युद्धाभ्यास पूर्वी वायु कमान की ओर से किया जाएगा, जिसका मुख्यालय शिलांग में है. भारतीय वायु सेना इसके जरिये 1 फरवरी से 5 फरवरी तक अपनी परिचालन तत्परता का परीक्षण करेगी. इस ड्रिल के तहत हासीमारा, तेजपुर और छाबुआ एयर बेस से राफेल (Rafale), सुखोई-30एमकेआई (Sukhoi) लड़ाकू विमानों समेत अन्य आधुनिक सैन्य उपकरणों से लैस आईएएफ अपना दम-खम परखेगी. गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने भी शुक्रवार को भारत सीमा पर तैनात पीएलए (PLA) सैनिकों से बातचीत कर युद्ध की तैयारियों का जायजा लिया है.
पिछले महीने भी किया था दो दिवसीय अभ्यास
भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच फिर से हुए शारीरिक संघर्ष के तुरंत बाद 9 दिसंबर को पूर्वोत्तर में ही दो दिवसीय अभ्यास किया था. सूत्रों के मुताबिक अब फरवरी के पहले हफ्ते में होने वाला अभ्यास बड़े पैमाने पर होगा. इसमें सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान, चिनूक हेवी लिफ्ट और अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर समेत कई तरह के आधुनिक विमान और ड्रोन शामिल होंगे. गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में हिंसक संघर्ष के बाद चीन ने लगातार तीसरी सर्दियों में एलएसी पर 50,000 से अधिक सैनिकों और भारी हथियारों को तैनात कर रखा है. और तो और, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी पर चर्चा करने से भी इनकार कर दिया है.
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चीन ने सीमा से लगते एयरबेस को दो सालों में किया है अपग्रेड
इस बीच चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के 1,346 किमी के हिस्से में बल स्तर बढ़ा दिया है. उदाहरण के लिए पीएलए ने दो अतिरिक्त संयुक्त हथियार ब्रिगेड पूर्वी क्षेत्र में तैनात कर रखी हैं. प्रत्येक ब्रिगेड में लगभग 4,500 सैनिक, टैंक, तोपखाने और अन्य हथियारों के साथ सर्दियों के दौरान भी पूर्वी क्षेत्र में तैनात हैं. इस क्रम में भारतीय वायुसेना को हाल के महीनों में पूर्वी क्षेत्र में एलएसी के करीब आने वाले चीनी विमानों को खदेड़ने के लिए एहतियाती वायु रक्षा उपायों के तहत सुखोई लड़ाकू विमानों को भी तैनात करना पड़ा है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर चीन की हवाई गतिविधियां बढ़ रही हैं. पिछले दो वर्षों में चीन ने भारतीय सीमा के अपने सभी नजदीकी प्रमुख एयरबेस जैसे होतान, काशगर, गरगुनसा और शिगात्से के रनवे को विस्तार देकर सैनिकों के लिए अस्थायी घरों समेत अतिरिक्त लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों के लिए ईंधन भंडारण सुविधाओं के साथ अपग्रेड किया है.
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डोकलाम विवाद के बाद भारत ने चिकन नेक पर रक्षा पंक्ति और मजबूत की
भारत के लिए एक और चिंता का विषय है डोकलाम के पास सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई जंक्शन के पास पीएलए की बढ़ती गतिविधियां और बुनियादी ढांचे का विकास. गौरतलब है कि 2017 में डोकलाम में सीमा पर तनाव बढ़ गया था, जब भारतीय सैनिकों ने जम्फेरी रिज की ओर अपने मोटरेबल ट्रैक का विस्तार करते चीनी प्रयासों को रोक दिया था. यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से नाजुक सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास है और यहां 73 दिनों तक भारत-चीन सेना के बीच गतिरोध बरकरार रहा था. इसके बाद सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक के लिए किसी भी खतरे को कम करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने कई उपाय किए हैं. चिकन नेक वास्तव में जमीन की एक संकरी पट्टी है जो पूर्वोत्तर को शेष भारत के साथ अन्य सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ती है. बताते हैं कि भारतीय पक्ष कई उपायों को अमल में लाकर परिचालन तैयारियों को बनाए रखे हुए हैं. भारत के पास किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल और हथियारों का भंडार है. इसमें पश्चिम बंगाल में हासीमारा एयर बेस पर राफेल फाइटर जेट्स के एक स्क्वाड्रन की तैनाती भी शामिल है. गौरतलब है कि यह एय़रबेस सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई जंक्शन के करीब है
HIGHLIGHTS
- एक से 5 फरवरी 2023 के बीच भारतीय वायु सेना करेगी पूर्वोत्तर में युद्धाभ्यास
- राफेल, चिनूक अपाचे समेत अन्य आधुनिक विमान और ड्रोन रहेंगे इसमें शामिल
- चीन के सीमा पर रक्षा बल बढ़ाने और हथियारों की तैनाती के बाद भारत का जवाब