भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने उम्मीद जताई है कि संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन, जिसे सीओपी15 कहा जाता है, 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा को लागू करने पर आम सहमति तक पहुंच जाएगा. यादव ने मॉन्ट्रियल में प्लेनरी में कहा कि सामाजिक आर्थिक विकास और लोगों की भलाई के लिए और वैश्विक स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को रोकना और वैश्विक जैव विविधता के नुकसान को रोकना आवश्यक है.
यादव ने शनिवार को एक ब्लॉग में लिखा, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी समृद्ध जैव विविधता को बहाल करने और संरक्षित करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसमें वनस्पतियों और जीवों की दुनिया का सबसे समृद्ध मिश्रण शामिल है. भारत जैव विविधता संरक्षण के लिए जानकारी साझा करने और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
अगले दशक के लिए जैव विविधता और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण और सतत प्रबंधन के लिए एक वैश्विक रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से लगभग 200 हस्ताक्षरकर्ता देशों को एक साथ लाने वाले पूर्ण सत्र में केंद्रीय मंत्री ने भारत की स्थिति को रेखांकित किया, जहां वैश्विक जैव विविधता ढांचे में निर्धारित लक्ष्य महत्वाकांक्षी होने चाहिए, वह यथार्थवादी और व्यावहारिक भी होने चाहिए. जैव विविधता का संरक्षण भी सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं पर आधारित होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन का जैव विविधता पर भी प्रभाव पड़ता है.
उन्होंने कहा, मैंने दोहराया कि विकासशील देशों में ग्रामीण समुदायों के लिए कृषि एक सर्वोपरि आर्थिक चालक है, और इन क्षेत्रों को प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण सहायता को पुनर्निर्देशित नहीं किया जा सकता. भारत में अधिकांश ग्रामीण आबादी कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर निर्भर है और माननीय पीएम मोदी जी की सरकार मुख्य रूप से किसानों की आजीविका का समर्थन करने के लिए बीज, उर्वरक, सिंचाई, बिजली, निर्यात, ऋण, कृषि उपकरण, कृषि बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न प्रकार की सब्सिडी प्रदान करती है.
उन्होंने कहा, भारत कृषि संबंधी सब्सिडी को कम करने और जैव विविधता संरक्षण के लिए बचत को पुनर्निर्देशित करने के लिए सहमत नहीं है, क्योंकि कई अन्य राष्ट्रीय प्राथमिकताएं हैं. जब विकासशील देशों के लिए खाद्य सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, तो पेस्टिसाइड में कमी के लिए संख्यात्मक लक्ष्यों को निर्धारित करना अनावश्यक है और इसे राष्ट्रीय परिस्थितियों, प्राथमिकताओं और क्षमताओं के आधार पर निर्णय लेने के लिए देशों पर छोड़ देना चाहिए.
जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिक तंत्र को समग्र रूप से और एकीकृत तरीके से संरक्षित और पुनस्र्थापित करने की आवश्यकता है. यह इस संदर्भ में है कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र ²ष्टिकोण को प्रकृति-आधारित समाधानों के लिए जाने के बजाय अपनाने की जरूरत है. समझौते को लागू करने का अधिकांश बोझ विकासशील देशों पर पड़ता है, लेकिन इसके लाभ वैश्विक हैं. इसी तरह, नई तकनीकों और जैव विविधता डेटा की उपलब्धता अभी भी असमान है. अधिकांश मेगा विविध देश जो वैश्विक जैव विविधता को आश्रय देते हैं, उन्हें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ-साथ पर्याप्त धन की जरूरत होती है.
यादव ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती वैश्विक जैव विविधता ढांचे के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संसाधनों की है. अधिक महत्वाकांक्षा का अर्थ है, अधिक लागत और इस लागत का बोझ असमान रूप से उन देशों पर पड़ता है जो उन्हें कम से कम वहन करते हैं.
उन्होंने कहा, विकासशील देशों के दलों को वित्तीय संसाधनों के प्रावधान के लिए एक नया और समर्पित तंत्र बनाने की जरूरत है.
इस तरह के फंड को जल्द से जल्द चालू करने की आवश्यकता का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सभी देशों द्वारा पोस्ट ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा.
उन्होंने लिखा, मैंने एक बार फिर कहा कि भारत सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है ताकि हम सभी सीओपी15 में एक महत्वाकांक्षी और यथार्थवादी वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा तैयार कर सकें.
जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) के लिए दलों का 15वां सम्मेलन (सीओपी15) दुनियाभर की सरकारों को एक साथ लाने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय बैठक है. प्रतिभागी नए लक्ष्य निर्धारित करेंगे और अगले दशक में प्रकृति के लिए एक कार्य योजना विकसित करेंगे. कनाडा की सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि सीओपी15 प्रकृति के लिए सफल हो.
शनिवार को स्टॉकटेकिंग प्लेनरी के दौरान, सभी समूह 2030 तक सालाना 200 बिलियन डॉलर के समझौते में कमोबेश थे और इसमें अंतर्राष्ट्रीय, घरेलू, सार्वजनिक और निजी सभी स्रोतों से फंडिंग शामिल होगी. विकासशील देशों में अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह के संबंध में, वातार्कारों को एक अच्छा संकेत मिला कि वृद्धि की जरूरत है और इसे मूर्त रूप दिया जाना चाहिए. लेकिन जैव विविधता वित्त पर वास्तुकला के सवाल पर अभी भी व्यापक विचार हैं. कुछ दल मौजूदा फंडिंग संरचना के बाहर एक स्टैंड-अलोन फंड की स्थापना का पक्ष लेंगी. अन्य मौजूदा फंडिग तंत्र में सुधार करना चाहते हैं और कुछ भी नया स्थापित करने के पक्ष में नहीं हैं.
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Source : IANS