करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने रविवार को कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता की. इस बैठक में भी भारत की तरफ से दो टूक कहा गया है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मई से पहले की स्थिति बहाल करे और पीछे हटे. एलएसी पर मई के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में तैनात हैं. रविवार को हुई बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे.
15 घंटे चली बातचीत में चीन को स्पष्ट संदेश
सूत्रों के मुताबिक नौवें दौर की बैठक में बातचीत का मुख्य उद्देश्य पिछली बैठक में बनी सहमतियों पर आगे बढ़ना था. यह तय किया जाना था कि दोनों देश किस प्रकार से अपने सैनिकों को टकराव वाले स्थानों से पीछे हटाएं. इसकी एक रुपरेखा पिछली बैठक में बनी थी, लेकिन अभी तक उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है. सूत्रों के मुताबिक कोर कमांडर स्तर की बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की ओर स्थित मोल्दो सीमावर्ती क्षेत्र में रविवार सुबह 10 बजे शुरु हुई, जो रविवार-सोमवार रात में 2.30 बजे के बाद तक चली.
The 9th round of India China Corps Commander level talks finished around 2:30 am today. The meeting lasted for more than 15 hours after starting at 11 am yesterday at Moldo opposite Chushul in Eastern Ladakh sector.
— ANI (@ANI) January 25, 2021
यह भी पढ़ेंः Corona Vaccination: कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया में किस नंबर पर है भारत?
तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की
इससे पहले छह नवंबर को हुई आठवें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी. बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया. भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने की जिम्मेदारी चीन की है.
यह भी पढ़ेंः 1952 में देश की शान के लिए निकली थी ट्रैक्टर रैली, इस बार सरकार को आंख दिखाने के लिए निकलेगी
भारतीय सेना के 50 हजार जवान तैनात
कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के अत्यधिक ऊंचे स्थानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था, लेकिन भारत ने टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू करने की बात कही थी. पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पवर्तीय क्षेत्रों में भारतीय थल सेना के कम से कम 50,000 जवान युद्ध की तैयारियों के साथ अभी तैनात हैं. दरअसल, गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता में कोई ठोस नतीजा हाथ नहीं लगा है.
यह भी पढ़ेंः मोर्चा की हिदायतें : ट्रैक्टर परेड हो शांतिपूर्ण, न रेस, न नशा हो
कूटनीतिक बातचीत भी रही थी बेनतीजा
अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया है. पिछले महीने, भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा मामलों पर 'परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र' (डब्ल्यूएमसीसी) ढांचा के तहत एक और दौर की राजनयिक वार्ता की थी, लेकिन इस वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था. छठें दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक नहीं भेजने, जमीनी स्थिति में बदलाव करने के एकतरफा प्रयास नहीं करने तथा विषयों को और अधिक जटिल बनाने वाली किसी भी गतिविधि से दूर रहने सहित कई फैसलों की घोषणा की थी.
Source : News Nation Bureau