संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अस्थाई सदस्यता के बाद अब भारत को स्थाई सदस्य के तौर पर कामयाबी मिल सकती है. एक बार फिर भारत के मित्र देश रूस ने भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया है. इससे भारत की दावेदारी और मजबूत हो रही है. इससे पहले भारत को दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाए जाने पर कामयाबी मिल चुकी है. भारत के वैश्विक सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में बुधवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि समानता पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था को क्रूर बल का उपयोग कर प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का भी समर्थन किया.
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भारत पिछले की दशकों के सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाए जाने के लिए दावेदारी कर रहा है. केंद्र की एनडीए सरकार सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्यता दिलाने के लिए काफी कोशिश कर रही है. भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता दिलाने के प्रयास नेहरू के जमाने से चल रहे हैं जबकि 1950 के दशक में ही भारत को यह मौका मिला था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा इसे ठुकरा दिए जाने के चलते भारत के लिए आज इस उद्देश्य को पाना आसान नहीं है.
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इससे पहले भारत को एशिया-प्रशांत समूह के 55 देशों ने सुरक्षा परिषद में भारत को अस्थाई सदस्यता देने का समर्थन किया. ये सदस्यता 2021-22 यानी दो साल के लिए होगी. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं. इनमें 5 सदस्य स्थाई होते हैं, तो वहीं बाकी 10 अस्थाई होते हैं. जो 10 सदस्य अस्थाई होते हैं, वह लगातार 2-2 साल के लिए चुने जाते हैं. इनमें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के लिए 2-2 सीटें चुनी जाती हैं, एशिया पैसेफिक देशों में से दो सदस्यों को चुना जाएगा.
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सुरक्षा परिषद में जो पांच सदस्य स्थाई हैं उनमें चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. ऐसा पहली बार नहीं है, जब भारत सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बनेगा. इससे पहले भी वह सात बार इस श्रेणी में शामिल हो चुका है. इससे पहले भारत 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 UNSC का अस्थाई सदस्य रहा था. 2011-12 में हरदीप सिंह पुरी, UN में भारत के प्रतिनिधि थे.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस स्थाई सीट को हासिल करने के लिए भारत के पास अपनी कुछ ठोस दलीलें शामिल है, जिसमें एक है देश की आबादी. वर्तमान में 120 करोड़ से अधिक की आबादी वाला यह देश 10 साल के भीतर दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है और इन परिस्थितियों में भारत की दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यही नहीं भारत दुनिया में दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी है. भारत के पक्ष में जो एक और मजबूत तर्क है, वह है देश की पहचान एक जिम्मेदार लोकतंत्र के रूप में होना.
Source : News Nation Bureau