भारत और चीन (India-China) के शीर्ष सैन्य कमांडर छठी बार फिर सोमवार को मोल्डो में बैठक करेंगे. इसमें सीमा विवाद पर खास तौर से पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की पैंगोंग झील (Pangong Tso) इलाके पर चर्चा होगी. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस बार की बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल सदस्य के रूप में शामिल होंगे. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वें कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे. दो मेजर जनरल अभिजीत बापट और पदम शेखावत भी उनके साथ बैठक में हिस्सा लेंगे.
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चीन पर होगा पीछे हटने का दबाव
इस वार्ता में 10 सितंबर को मास्को में भारत एवं चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है. एक सूत्र ने कहा, 'हम टकराव के सभी बिंदुओं से चीनी बलों को शीघ्र एवं पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर देंगे. यह सीमा पर शांति स्थापित रखने की दिशा में पहला कदम है.' भारत-चीन के बीच होने वाली इस कमांडर स्तर की वार्ता से पहले शनिवार को भारतीय सेना की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी. इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत आला अधिकारी शामिल हुए थे. इस बैठक में भारत की तरफ से चीन के सामने कौन-कौन से मुद्दे उठाए जाएंगे ये तय किया गया था.
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15 जून को हुई थी हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. चीन के अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने इस बात की पुख्ता जानकारी दी थी कि गलवान घाटी में चीन की सेना को भारी नुकसान पहुंचा था और कई जवानों की मौत हो गई थी. इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे और लगभग दो गुने चीनी सैनिक भी मारे गए थे.
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भारतीय सेना तैनात
एलएसी पर तनातनी और वॉर की आशंका के मद्देनजर भारतीय सेना के हौसले पूरी तरह से बुलंद है. दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख तक पूरी तरह तैयार है. वहीं, सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे राज्य की सुरक्षा स्थिति और सुरक्षा बलों के ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लेने के लिए गुरुवार को श्रीनगर और जम्मू कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे.