लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में अलवर जिले के जवान सुरेंद्र सिंह घायल हो गए थे. उनका इलाज लद्दाख के सैनिक हॉस्पिटल में चल रहा है, जहां उन्हें 13 घंटे बाद होश आया. इसके बाद उन्होंने गलवान घाटी में हुए पूरे घटनाक्रम के बारे में परिजन को बताया. साथ ही पहली बार किसी घायल ने चीन के पूरे षडयंत्र की दास्तान भी बयां की है.
सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि वह लेह के अस्पताल में भर्ती है. हमारी फौज ने दुशमनों को भारी नुकसान पहुंचाया है. सोमवार देर रात गलवान घाटी में खून जमाने वाली सर्दी थी. दुश्मन हमला करेगा हमें अंदाज़ नही था, चीन की कायराना हरकत अंधेरे में हुई. जवाबी कार्यवाही में हम 5 फीट गहरी बर्फीली नदी में थे, घाटी में तब हम 300 जवान थे. घात लगा कर आए दुश्मन के तब 1000 से अधिक जवान थे. लगातार 5 घंटे हमारा संघर्ष जारी रहा. आखिर हमारे जवानों ने उन्हें खदेड़ दिया, मेरे साथ अन्य साथी भी घायल हुए.
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उन्होने आगे कहा कि दुश्मनों ने हम पर लोहे के कांटे लगे डंडों से ताबड़तोड़ हमला किया. हाथ फ्रैक्चर हो गया लेकिन में लड़ता गया. मेरे पास कृपाण थी उससे खुद को बचाया और चीन के 2 सैनिकों को घायल कर दिया. उन्होंने सिर पर वार किया लेकिन पगडी ने रक्षा की. चीनी सैनिक जब पीछे जा रहे थे मैं बेहोश हो गया. इसके बाद मुझे 15 घंटे बाद सैनिक अस्पताल में होश आया. 12 टांके आए हैं लेकिन चिंता की बात नहीं है. वहीं दुश्मनो का नुकसान ज़्यादा हुआ है.
फौजी सुरेंद्र सिंह ने फोन पर बताया कि चीन के सैनिकों ने गिरवान घाटी से निकल रही नदी के किनारे और अचानक धोखे से हमला किया और करीब 4 से 5 घंटे तक यह नदी में ही खूनी संघर्ष चलता रहा. भारत के करीब 2 से ढाई सौ को जवान थे जबकि चाइना के 1000 से अधिक जवान थे.
उन्होंने बताया कि गिरवान घाटी की नदी करीब 5 फुट गहरे हाड कपकपाते ठंडे पानी में यह संघर्ष चलता रहा .जहां यह संघर्ष हुआ उस नदी के किनारे मात्र एक आदमी को ही निकलने की जगह थी इसलिए भारतीय सैनिकों को संभालने में भारी परेशानी हुई नहीं तो भारतीय सैनिक किसी से कम नहीं थे और चाइना के सैनिकों को अच्छा सबक सिखा सकते थे लेकिन उन्होंने षडयंत्र पूर्वक और धोखे से हमला किया.
चीनी सैनिकों ने सुरेन्द्र के सिर पर वार किया था इससे सुरेन्द्र के सिर में गंभीर चोट आई और उसे करीब 12 टांके लगे हैं. 19 साल से सेना में कार्यरत सुरेंद्र सिंह 2 साल से लद्दाख में पोस्टेड हैं. उन्होंने बताया कि चीनी सेना ने कांटे लगे डंडों से हमला किया था. सिर में चोट के कारण लहूलुहान हुए सुरेन्द्र सिंह को चीनी सैनिक वहीं छोड़कर चले गए. उसके बाद भारतीय सेना के जवान आए और सभी घायलों को लद्दाख के अस्पताल में लेकर गए, जहां उनका इलाज चल रहा है.
बता दें कि बुधवार को दोपहर में सुरेंद्र सिंह के होश में आने के बाद आर्मी के सीनियर अफसरों ने उनकी परिजनों से बात कराई. तभी परिजनों को उनके घायल होने का पता चला. सुरेन्द्र के घायल होने की खबर के बाद परिवार में चिंता हो गई, लेकिन घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती सैनिक सुरेंद्र सिंह ने अपने परिजनों और पत्नी को ढांढस बंधाया है. सुरेन्द्र सिंह ने परिजनों से कहा है कि वह पूरी तरह ठीक है और चिंता की कोई बात नहीं है. रेशमा सिंह ने बताया कि जहां सुरेंद्र की पोस्टिंग है वहां से फोन मिलता नहीं है. इसलिए सुरेन्द्र ही कभी कभार फोन करता है.
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सैनिक की पत्नी गुरप्रीत कौर ने बताया कि उसके पति की गुरु साहब की कृपाण ने जान बचाई ओर कृपाण की मदद से चीनी सैनिकों का मुकाबला किया और अपने अन्य साथियों की जान भी बचाई थी. सुरेंद्र जनवरी में 20 दिन की छुट्टी पर आए थे. 31 जनवरी को वापस ड्यूटी पर गए थे. आर्टिलरी थ्री मीडियम में हवलदार में तैनात है. 22 साल नोकरी करते हुए हो गए हैं. लेह में उनकी बटालियन तैनात है, लेकिन अभी तनाव के चलते उनको आगे शिफ्ट किया है.