कोरोना वायरस महामारी ने प्रचंड रूप ले लिया है. देश में इस घातक वायरस के कारण हाहाकार मचा है. कोरोना जैसे जैसे पूरे देश को अपने में जकड़ रहा है, वैसे वैसे स्थिति बद से बत्तर होती चली जा रही है. हर दिन कोरोना मामलों में देश रिकॉर्ड तोड़ रहा है. इन बिगड़ते हालातों के लिए अगर जिम्मेदारी ठहराई जाए तो प्रशासन अलमा ही नहीं, खुद जनता भी पीछे नहीं है. नियमों को ताक पर रख जनता की घोर लापरवाही और प्रशासन का ढुलमुल रवैया आज देश की करोड़ों जानों का दुश्मन बन गया है. इस संकट काल में न लोग जिम्मेदारी समझ रहे हैं और न ही प्रशासन संजीदा है. कमोबेश यह हालात पूरे देश में हैं.
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सिर्फ लापरवाही ही नहीं, खुद को बचाने की चाह में लोग कालाबाजारी को बढ़ावा दे रहे हैं तो अस्पताल भी मुनाफाखोरी में फर्जी कोरोना रिपोर्ट बना रहे हैं. कुछ ऐसे ही मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ताजा मामला महाराष्ट्र के ठाणे से सामने आए हैं. कोविड संक्रमण के मामलों का लोड बढ़ने के कारण रिपोर्ट्स में देरी हो रही है. लेकिन पुणे में रिपोर्टों में देरी को देखते हुए कई लोगों को जाली आरटी-पीसीआर रिपोर्ट जारी कर दी गईं. इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का कहना है कि मामले में आगे कार्रवाई की जा रही है.
ऐसा नहीं है ये कि इस तरह का यह सिर्फ पहला मामला है. इससे पहले मुंबई भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया था. मुंबई में शनिवार को पुलिस ने गिरोह का पर्दाफाश कर इस गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया. यह गिरोह मरीजों को कोरोना की फर्जी आरटीपीसीआर नेगिटिव रिपोर्ट बनाकर देता था. बताया जाता है कि गिरोह लोगों से फर्जी नेगिटिव रिपोर्ट के बदले मोटी रकम लेता था. पुलिस की मानें तो इस गिरोह ने एक कंपनी के 113 कमर्चारियों को नेगेटिव रिपोर्ट बनाकर दी थी. बता दें कि कंपनियों में काम करने वाले कमर्चारियों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव होनी बहुत जरूरी है.
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महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और दिल्ली से सटे नोएडा से भी ऐसे मामले आए. नोएडा के हॉस्पिटल के फर्जी रिपोर्ट बनाने का भंडाफोड़ बीते दिन हुआ. नोएडा अस्पताल में पैसे लेकर लोगों की कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट बनाई जा रही थी और यह पूरा खेल स्वास्थ्य कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा था. इससे पहले 10 अप्रैल को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले दो जलासाज पकड़े गए थे. मरीजों से पैसे लेकर फर्जी कोरोना रिपोर्ट बनाई जा रही थी. बताया जा रहा है कि खुद लैब मालिक ने ही इन दोनों आरोपियों को पुलिस के हवाले करवाया था.
इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए बनाए गए टीके की कालाबाजारी भी देश में जमकर हो रही है. रेमडेसिवरी इंजेक्शन की किल्लत देश में हैं तो ऐसे में कई राज्यों में इसकी कालाबाजारी की जा रही है. मेडिकल प्रेक्टिशनर्स और इसे खरीदने वाले लोगों की मानें तो करीब साढ़े 5 हजार रुपये की कीमत वाले इस इंजेक्शन को जरूरतमंदों के लिए 30 से 40 हजार रुपये तक बेचा जा रहा है. आपको बता दें कि अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिवीर का इस्तेमाल देश में हो रहा है. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो यह दवा वायरल बीमारी के इलाज में बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं है.
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इसी का नतीजा है कि अब देश ने कोरोना के दैनिक मामलों में तेज रफ्तार पकड़ ली है. सिर्फ एक दिन के अंदर कोरोना के मामले ढाई लाख के पार पहुंच गए हैं. रविवार को आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटे में देश में 2,61,500 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं. जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. इसी के साथ देश में कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 1,47,88,109 पहुंच गई है. जबकि देश में पिछले 24 घंटे में 1,501 मरीजों ने जान गंवाई है, जिन्हें मिलाकर अब तक मरने वालों का आंकड़ा 1,77,150 पहुंच गया है.
HIGHLIGHTS
- कोरोना वायरस से मचा हाहाकार
- लोगों की लापरवाही उन्हीं पर भारी
- अब फर्जीवाड़ा और कालाबाजारी शुरू