संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत के स्थायी मिशन की सचिव इनम गंभीर (eenam gambhir) ने राइट टू रिप्लाई का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान के भाषण का करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमने जो कुछ सुना वह पुराने पाकिस्तान जैसा लगा. इसके साथ ही इनम गंभीर ने पाकिस्तान की ओर से लगाए गए आरोपों को निराधार करार दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आरोप लगा रहा है कि नई दिल्ली इस्लामाबाद में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है. जो बिल्कुल भी गलत है.
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पाकिस्तान पेशावर हमले में मारे गए बच्चों का अपमान कर रहा है
कुरैशी ने अपने भाषण में कहा था कि 2014 में पेशावर स्कूल पर हुए आतंकी हमले में भारत का कथित तौर पर हाथ था. कुरैशी के इस बयान का जवाब देते हुए इनम गंभीर ने कहा, 'पेशावर के स्कूल में आतंकी हमले की भारत ने निंदा की थी. भारतीय संसद के दोनों सदनों ने इस पर दुख जताते हुए मौन रखा था. भारत के सभी स्कूलों ने बच्चों की याद में दो मिनट का मौन रखा था. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय पेशावर हमले में मारे गए बच्चों का अपमान कर रहा है.
जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है और रहेगा
इसके साथ ही पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाए जाने पर इनम गंभीर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा.
पाकिस्तान में आतंकी खुलेआम घूम रहे हैं
पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दावों का पोल खोलते हुए भारत ने कहा कि आतंकवाद का जनक और आतंकियों का पालक पाकिस्तान ही है जहां 132 अंतरराष्ट्रीय आतंकी और 22 आतंकी संगठन चल रहे हैं. आतंकी आज भी वहां खुलेआम घूम रहे हैं और लोगों को चुनाव तक लड़वा रहे हैं.
यहां आतंकी चुनावों में उम्मीदवार खड़े करते हैं
इसके साथ ही गंभीर ने पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद के खुलेआम घूमने को लेकर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि क्या पाकिस्तान यह स्वीकार करेगा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और वहां चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े करता है?
दुनिया को उपदेश देने से पहले पाक अपने घर में मानवाधिकार की शुरुआत करे
इसके आगे इनम गंभीर ने कहा कि हमने यह भी देखा है कि पाकिस्तान मानवाधिकार की भी बात करता है. मानवाधिकार पर पाकिस्तान की ये बातें भी खोखली हैं. प्रिंसटन के अर्थशास्त्री आतिफ मियां के उदाहरण से इस बात को समझा जा सकता है. उन्हें इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल से सिर्फ इसलिए हटा दिया गया क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते थे. पाकिस्तान को दुनिया को उपदेश देने से पहले खुद के घर से ही मानवाधिकार की शुरुआत करनी चाहिए.
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Source : News Nation Bureau