भारत ने अगले महीने रूस में होने वाले बहुपक्षीय युद्धाभ्यास से हटने का फैसला किया है. भारत (India) ने युद्धाभ्यास में शामिल होने की पुष्टि करने के एक हफ्ते बाद इससे हटने का फैसला किया. इस युद्धाभ्यास में चीनी और पाकिस्तानी सैनिकों के भी शामिल होने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि इसी वजह से भारत ने युद्धाभ्यास से खुद को दूर रखने का फैसला किया. गौरतलब है कि पहले इस युद्धाभ्यास में भारतीय थलसेना (Indian Army) के 150 जवानों, भारतीय वायुसेना के 45 जवानों और नौसेना के कुछ अधिकारियों को भेजने की भारत की योजना थी.
यह भी पढ़ेंः पाकिस्तान की बड़ी साजिश नाकाम, सांबा सेक्टर में BSF को मिली सुरंग
15 सितंबर से शुरू होगा युद्धाभ्यास
भारत ने पिछले हफ्ते रूस को सूचित किया था कि वह 15 से 26 सितंबर के बीच दक्षिण रूस के अस्त्राखान इलाके में होने वाले रणनीतिक कमान-पोस्ट अभ्यास में शामिल होगा. हालांकि आधिकारिक रूप से भारत द्वारा पुराने फैसले को बदलने की वजह नहीं बताई गई है, लेकिन मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि चीन का इस युद्धाभ्यास में शामिल होना भारत के शामिल नहीं होने की बड़ी वजह है.
यह भी पढ़ेंः नहीं चलेगी राज्यों की मनमानी, सरकार से लॉकडाउन लगाने को लेनी होगी इजाजत
चीन से गतिरोध के चलते बदला निर्णय
सूत्रों ने कहा, ‘युद्धाभ्यास में शामिल नहीं होने का फैसला लिया गया है.' समझा जाता है कि यह फैसला सैन्य और विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुए विचार-विमर्श के बाद लिया गया. उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते कई इलाकों में गत साढ़े तीन महीने से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध बना हुआ है. दोनों देश विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः कश्मीर को दहशत मुक्त करने में सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी, बीते 24 घंटों में 8 आतंकी ढेर
राजनाथ सिंह पहले हफ्ते में जाएंगे रूस
चीन और पाकिस्तान सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सभी सदस्यों सहित करीब 20 देशों के ‘कावकज’ नामक इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने की संभावना है. भारत द्वारा सैन्य युद्धाभ्यास में शामिल होने के फैसले पर पुनर्विचार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एससीओ की अहम बैठक में शामिल होने के लिए अगले हफ्ते होने वाली रूस यात्रा से पहले किया गया है. एससीओ रक्षामंत्रियों की बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा हालात और भू-रणनीतिक गतिविधियों पर चर्चा होने की उम्मीद है.