भारत ने कहा है कि वो रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को सुलझाने के लिये बांग्लादेश का पूरा सहयोग करेगा। जिसमें उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया भी शामिल है।
भारत के विदेश सचिव विजय गोखले बांग्लादेश की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं और ये प्रस्ताव उन्होंने वहां के विदेश सचिव एम शहीदुल हक के साथ हुई मुलाकात के दौरान दी।
गोखले ने एक बयान में कहा, 'भारत इस समस्या को सुलझाने की कोशिशों का समर्थक रहा है। यहां तक कि उन्हें वापस उनके देश भेजना भी शामिल है।'
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मानवीय कोशिशों को देखते हुए पिछले सितंबर में भारत ने तीन लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के लिये 'ऑपरेशन इंसानियत' के तहत राहत सामग्री भेजी है। साथ ही उन्होंने भारत की तरफ से दूसरे फेज़ की राहत सहायता की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा, 'म्यांमार में हम राखाइन स्टेट डेवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत आर्थिक-सामाजिक सहायता पहुंचा रहे हैं। लोगों को वहां वापस भेजने के लिये उनकी जरूरतों के मद्देनज़र प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाए जा रहे हैं।'
हक ने कहा, 'बांग्लादेश भारत से आए हमारे दोस्त से खुश है कि वो रोहिंग्या मसले को जिस तरह से देख रहा है।'
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत से कहा था कि वो म्यांमार पर दबाव बनाए ताकि राहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजा जा सके। क्यों कि बांग्लादेश को डर है कि वो आतंक संबंधी सुरक्षा खतरा खड़ा कर सकते हैं।
सैन्य कार्रवाई के कारण पिछले अगस्त से करीब सात लाख रोहिंग्या अल्पसंख्यक म्यांमार से भागे हुए हैं।
हालांकि म्यांमार इन आरोपों का खंडन करत है और उनका कहना है कि रोहिंग्या कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहे हैं।
म्यांमार और बांग्लादेश के बीच रोहिंग्या के देश वापसी से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किया है।
Source : News Nation Bureau