भारत के लिए आज का दिन बेहद ही खास है। दरअसल सोमवार को स्पाइसजेट की एक फ्लाइट बायोफ्यूल की मदद से देहरादून से दिल्ली के लिए उड़ान भरेगी। विकासशील देशों में यह प्रयोग करने वाला भारत पहले देश है। अबतक कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे विकसित देश इस तरह का प्रयोग कर चुका है। बायोफ्यूल को बनाने में सब्जियों के तेलों सहित रिसाइकल गीस और जानवरों की चर्बी (फैट) जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जीवाश्म ईधन की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
खबर के मुताबिक एयरलाइंस इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन(IATA) नाम कि ग्लोबल असोसिएशन ने लक्ष्य रखा है कि उनकी इंडस्ट्री से बनने वाले कॅार्बन को 2050 तक 50 प्रतिशत तक कम किया जाए।
अनुमान के मुताबिक बायोफ्यू के इस्तेमाल से उड़ानों में कार्बन उत्सर्जन को 80 फीसदी तक कम जा सकता है।
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गौरतलब है कि बीते 10 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वर्ल्ड बायोफ्यूल डे' के मौके पर नई दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने कचरे से बायोफ्यूल बनाने पर जोर दिया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने वैकल्पिक माध्यमों से बिजली बनाने, प्रदूषण को कम करने, वैकल्पिक ऊर्जा का प्रसार करने की अपनी सरकार की योजनाओं के बारे में भी बताया था
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि देश में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश से 10 जैव ईंधन रिफाइनरी लगाने की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम कचरे से बायो-सीएनजी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।भारत नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के साथ-साथ जैवईंधन के उत्पादन पर भी बल दे रहा है ताकि कच्चे तेल के आयात पर होने वाले मोटे खर्च को कम किया जा सके।
Source : News Nation Bureau