सुप्रीम कोर्ट द्वारा आईपीसी की धारा-377 को खत्म किए जाने के ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत को पहला जेंडर न्यूट्रल हॉस्टल मिल गया है। जी हां, समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिए जाने के बाद मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेस (TISS) में भारत का पहला जेंडर न्यूट्रल हॉस्टल बना है जिसमें आम छात्रों के साथ समलैंगिक लोग भी साथ रह सकते हैं।
समलैंगिकों के प्रयास के बाद संस्थान की एक छात्र संगठन ने एलजीबीटीआईक्यू (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर/ट्रांससेक्सुअल, इंटरसेक्स और क्वीर/क्वेशचनिंग) छात्रों के लिए सुरक्षित जगह की मांग की थी।
टीआईएसएस छात्र संगठन के सांस्कृतिक सचिव और जेंडर न्यूट्रल हॉस्टल में रहने वाले अकुंठ ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि उम्मीद है कि दूसरे हॉस्टल भी इस कदम को उठाएंगे और जेन्डर न्यूट्रल बनाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कदन से समाज में बड़ा बदलाव आएगा।
TISS के पहले वर्ष के छात्र अकुंठ ने कहा, 'यह दूसरे हॉस्टल की तरह ही है। यहां हर लोगों के लिए जगह है लेकिन जेंडर के लाइन के साथ अलग हुए बिना। यह एक स्वतंत्र जगह है।' अकुंठ ने कहा कि कैंपस के अंदर अब जेंडर न्यूट्रल वॉशरूम भी मौजूद है।
अब तक कम से कम 17 छात्रों को ग्राउंड फ्लोर पर स्थित लड़कियों के हॉस्टल में भेजा गया है जिसे जेंडर न्यूट्रल स्पेस के तौर पर रखा गया है। इस फ्लोर पर 10 दो सीटर रूम हैं जिसमें ट्रांसजेडर भी रहेंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 6 सितंबर को समलैंगिकता को अपराध के अंतर्गत रखे जाने वाले कानून की धारा-377 को खत्म कर दिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था, 'किसी भी व्यक्ति को उसके अपने शरीर पर पूरा अधिकार है और उसका लैंगिक रुझान उसकी अपनी पसंद का मामला है।'
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उन्होंने कहा था, 'यह समाजिक सोच के स्तर पर गइराई से जुड़े पूर्वाग्रहों को हटाने का समय है। भेदभाव के खिलाफ एलजीबीटीआईक्यू समुदाय को सशक्त बनाने का समय है। उन्हें उनकी पसंद को पूरा करने की इजाजत दी जानी चाहिए।'
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सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ इस मामले में अपने पहले के ही फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को 2013 में पलट दिया था।
Source : News Nation Bureau