सरकार ने मंगलवार को कहा कि भारत में कोरोनावायरस (Corona Virus) संक्रमण से मृत्यु दर 2.87 प्रतिशत है जो इस महामारी से अधिक प्रभावित देशों में सबसे कम है. देश में मंगलवार को कोविड -19 (COVID-19) के रोगियों की संख्या 1,45,380 पर पहुंच गयी और इससे अब तक 4,167 लोगों की जान जा चुकी है. इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि भारत में हुए अध्ययनों में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का कोई प्रमुख दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है और विशेषज्ञों की देखरेख में इसका प्रयोग कोविड-19 के एहतियाती इलाज में जारी रखा जा सकता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोविड -19 (COVID-19) मामलों के ठीक होने की दर में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है. उन्होंने कहा, देश में ठीक होने की दर में सुधार जारी है और यह वर्तमान में 41.61 प्रतिशत है. कोविड-19 से मृत्यु की दर 15 अप्रैल को 3.3 प्रतिशत थी जो कम होकर 2.87 प्रतिशत हो गई है जो कि विश्व में सबसे कम है. अग्रवाल ने कहा कि दुनिया में संक्रमण से मृत्यु दर 6.4 प्रतिशत है. देश में पिछले पांच दिन से लगातार संक्रमण के 6,500 नये मामले आ रहे हैं और यह महामारी से बुरी तरह प्रभावित दस शीर्ष देशों में शामिल हो गया है. दुनिया में भारत में कोविड-19 से मृत्युदर सबसे कम होने की वजह के सवाल पर आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि इसके पीछे कोई प्रामाणिक कारण नहीं है.
देश में कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्यु दर
उन्होंने कहा, आश्चर्यजनक तरीके से भारत में कम मृत्युदर है और यह बहुत अच्छी बात है. अंतत: हमारी दिलचस्पी रोगी के सही होने में है भले ही उसे कोविड-19 संक्रमण हो या नहीं. भार्गव ने कहा, कई तरह की अवधारणाएं हैं जैसे कि हम साफ-सफाई का उतना ध्यान नहीं रखते, हमारी प्रतिरक्षा क्षमता अधिक होती है और हमें बीसीजी तथा टीबी के टीके दिये गये हैं, लेकिन ये सभी अवधारणाएं हैं और हम इस बारे में साफ-साफ कुछ नहीं कह सकते. हालांकि अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 से क्रमिक तरीके से निपटने, मामलों की समय पर पहचान और उनके क्लीनिकल प्रबंधन ने मृत्युदर कम रखने में बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा, अगर समय पर मामलों की पहचान हो जाती है तो वे गंभीर नहीं होते और मृत्युदर खुद ही कम हो जाती है.
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भारत में प्रति लाख आबादी में मृत्युदर 0.3 फीसदी है
जब अग्रवाल से पूछा गया कि क्या हम अन्य देशों की तुलना में मृत्युदर कम बताकर जल्द महामारी पर विजय पाने की घोषणा की जा रही है तो उन्होंने कहा, हम कोई जीत की घोषणा नहीं कर रहे. अगर आपको याद हो तो हमने हमेशा कहा है कि हम लड़ाई लड़ रहे हैं. हमें आज जो भी सफलता मिलती है, अगर हम लापरवाही बरतने लगे तो हम हार जाएंगे. उन्होंने कहा, हमने सभी समुदायों, सभी नागरिकों के साथ काम करना शुरू किया और इस लड़ाई में हम उन्हें साथ लाये. हम इस बात को रेखांकित करना चाह रहे हैं कि अभी तक हम इसे संभालने में सफल रहे हैं लेकिन लड़ाई समाप्त नहीं हुई है. देश के सभी नागरिक सहयोग करें तभी लड़ाई सफल होगी. अग्रवाल ने दूसरे देशों के आंकड़े बताते हुए कहा कि भारत में प्रति लाख आबादी में मृत्युदर 0.3 प्रतिशत है जबकि दुनियाभर में एक लाख लोगों में 4.5 की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो रही है.
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कई दवाएं कोविड-19 के मरीजों पर बेअसर रहीं
उन्होंने कहा, लॉकडाउन, समय पर मामलों की पहचान और कोविड-19 के मामलों के प्रबंधन से यह संभव हुआ है. उधर भार्गव ने कहा, कोविड-19 एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में जानकारी धीरे धीरे सामने आ रही है और हमें नहीं पता कि कौन सी दवा काम कर रही है और कौन सी दवा काम नहीं कर रही है. कई दवाएं कोविड-19 के लिए इस्तेमाल के लिए निर्धारित की जा रही हैं, चाहे वह इससे बचाव के लिए हों या इलाज के लिए हों. उन्होंने कहा, हमने मिचली आने, उल्टी आने और बेचैनी होने को छोड़कर कोई प्रमुख दुष्प्रभाव नहीं पाया है. इसलिए हम हमारे परामर्श में सिफारिश करते हैं कि इसका (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का) इस्तेमाल बचाव के लिए जारी रखना चाहिए क्योंकि इससे कोई हानि नहीं है. लाभ जरूर हो सकता है.
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एचसीक्यू भोजन के साथ ही लेना चाहिए, खाली पेट नहीं
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर सलाह दी गई है कि एचसीक्यू भोजन के साथ लेनी चाहिए, खाली पेट नहीं. उन्होंने कहा, हमने इस बात पर भी जोर दिया है कि इलाज के दौरान ईसीजी किया जाना चाहिए. हमने एचसीक्यू के संभावित लाभ पर विचार करते हुए इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के अलावा कोविड-19 की रोकथाम में अग्रिम मोर्चे पर लगे कर्मियों पर भी करना शुरू किया है. भार्गव ने संवाददाताओं से बातचीत में उल्लेख किया कि आईसीएमआर ने जांच सुविधाएं बढ़ायी हैं और प्रतिदिन एक लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच की जा रही है. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों की वापसी के कारण कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पांच राज्यों को पिछले तीन हफ्ते में निषिद्ध क्षेत्र में आए रूझान का आकलन करने और प्रभावी नियंत्रण रणनीति अपनाने का सुझाव दिया है.
लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बढ़े मामले
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को जिन पांच राज्यों को सुझाव दिए हैं उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश शामिल हैं. स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों, स्वास्थ्य सचिवों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के निदेशकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. मंत्रालय के बयान में कहा गया, लॉकडाउन नियमों में ढील दिए जाने और अंतरराज्यीय पलायन की इजाजत दिए जाने के बाद इन राज्यों में पिछले तीन सप्ताह में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है. बयान में कहा गया कि प्रभावी नियंत्रण रणनीति के लिए जिन कारकों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, उनमें विशेष निगरानी टीमों के माध्यम से घर-घर सर्वेक्षण, जांच, संपर्क का पता लगाने जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया.