भारतीय नौसेना ने ताकत में इजाफा करते हुए अपने बेड़े में नई उपलब्धि जोड़ ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नौसेना में गुपचुप तरीके से नई स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को शामिल कर लिया गया है।
भारत परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एंटी बैलिस्टिक मिसाइल और लड़ाकू विमानों को सैन्य बेड़े में शामिल कर चुका है लेकिन नौसेना के क्षेत्र में यह कार्य बाकी था। भारतीय नौसेना की ताकत अब और ज्यादा बढ़ा ली है। खबर है कि देश की पहली स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बी आर्इएनएस अरिहंत को अगस्त में गोपनीय रूप से कमीशन दे दिया गया।
हालांकि रक्षा मंत्रालय और नेवी की ओर से भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस रणनीतिक प्रोजेक्ट पर प्रधानमंत्री का दफ्तर नजर रखे हुए है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फरवरी 2016 में इसे ऑपरेशन के लिए तैयार घोषित किया गया था जिसके बाद अगस्त 2016 में पीएम मोदी ने बेहद गुप्त कार्यक्रम में इस पनडुब्बी को नौसेना को सौंप दिया। इसके साथ ही भारत का छठा ऐसा देश बन गया है जिसके पास जल, थल और वायु में परमाणु ताकत का त्रिकोण पूरा हो चुका है।
क्यों अहम है ये शक्ति
-परमाणु संपन्न पनडुब्बी की खास बात यह है कि दुश्मन को महीनों तक पता चले बिना इससे परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की जा सकती है।
-6 हजार टन वजनी अरिहंत पनडुब्बी 83 एमडब्ल्यू प्रेशराइज्ड लाइट वाटर रिएक्टर पर काम करती है।
-आईएनएस अरिहंत में 750 किमी और 3500 किमी क्षमता वाली मिसाइलें हैं। हालांकि अमेरिका, रूस और चीन की तुलना में यह क्षमता कम है।
-इन देशों के पास 5000 किलोमीटर तक मार कर सकने वाली सबमरीन लॉन्चड बैलिस्टिक मिसाइलें (एसएलबीएम) हैं।
चीन और पाक के नजिरये से अहम
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान और चीन दोनों ही अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाने में अग्रसर हैं। हिंद महासागर में चीनी न्यूक्लियर सबमरीन की बढ़ती मौजूदगी भारत के कई सालों से चिंता का विषय बनी हुई हैं। ऐसे में अरिहंत का इस बेड़े में शामिल हो जाना बेहद कारगार साबित होने वाला है।
ऐसे में पानी के नीचे महीनों तक बिना किसी की नजर में आए परमाणु हमले की क्षमता वाली पनडुब्बी से जवाबी न्यूक्लियर स्ट्राइक में रोल बेहद अहम हो जाता है।
Source : News Nation Bureau