प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि दुनिया के चार टन प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन की तुलना में भारत का कार्बन फुटप्रिंट 1.5 टन प्रति व्यक्ति है. देश अक्षय ऊर्जा प्रणालियों और अन्य विकल्पों को स्थापित कर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए लाइफस्टाइल) का शुभारंभ किया.
मिशन लाइफ के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दैनिक जीवन शैली में बदलाव लाकर पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण की दिशा में जन आंदोलन है.
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जिम तक पहुंचने के लिए पांच किमी तक कार चलाता है, ऐसा करने से वह कार्बन उत्सर्जन में इजाफा कर रहा है, इसके बजाय अगर वह चल कर जिम जाए, तो यह जलवायु की रक्षा करने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, अगर हम प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो प्रकृति हमारी रक्षा करेगी.
उन्होंने कहा, कुछ साल पहले, देश ने एलईडी बल्बों पर स्विच करने का फैसला किया और साल में 160 करोड़ बल्ब लगाए जिससे कार्बन उत्सर्जन में 10 मिलियन टन की कमी आई. यह लाभ आने वाले वर्षों तक चलने वाला है.
सभा को संबोधित करते हुए, गुटेरेस ने कहा, जी-20 के पास प्रकृति के खिलाफ युद्ध को समाप्त करने के लिए संसाधन और शक्ति है. यह दुनिया को स्थायी जीवन की ओर ले जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि जी-20 देशों में गैस का उत्सर्जन करने वाले वैश्विक ग्रीनहाउस का 80 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन साथ ही यह दुनिया के 80 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद में भी योगदान देता है.
भारत कार्बन न्यूट्रैलिटी का लक्ष्य 2030 तक रखा है जिसमें वह अपने कुल जीडीपी का 45 प्रतिशत कार्बन उतसर्जन कम करेगा वही 2070 तक जीरो कार्बन करने का लक्ष्य है.
Source : IANS