कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) ने एक बार फिर मोदी सरकार (Modi Government) पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भारत अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं रहा. राहुल गांधी ने गुरुवार को स्वीडन के एक रिपोर्ट को ट्विट करते हुए लिखा, 'भारत अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं रहा.' इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेंसरशिप के मामले में भारत पाकिस्तान की तरह एकतंत्र हो गया है और भारत की स्थिति अब बांग्लादेश से भी खराब है. बता दें कि यह रिपोर्ट स्वीडन के वी-डेम इंस्टिट्यूट ने जारी की है. इसमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की जगह भारत को इलेक्टोरल एकतंत्र वाला देश बताया गया है.
India is no longer a democratic country. pic.twitter.com/iEwmI4ZbRp
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 11, 2021
स्वीडन की इस रिपोर्ट में भारत को हंगरी और तुर्की के साथ ‘लोकतंत्र के कई पहलुओं पर प्रतिबंध’ लगाने के आरोप में ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ में वर्गीकृत किया गया है. इसमें आरोप है कि कि भारत में नागरिक समाज समूहों और स्वतंत्र अभिव्यक्ति में बाधा आ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंसरशिप के मामले में भारत पाकिस्तान जितना निरंकुश है. उसके पड़ोसी देश, बांग्लादेश और नेपाल में स्थिति बेहतर है.
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इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में देरी होने पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने कैग की रिपोर्ट में कथित तौर पर विलंब का मुद्दा उठाया और सोशल मीडिया पर एक तालिका साझा करते हुए ‘केज्ड’ (पिंजरे में बंद) शब्द का इस्तेमाल किया. राहुल गांधी ने ट्विटर पर अपनी पोस्ट में तालिका साझा की जिसमें 2011-12 से रिपोर्ट तैयार करने में कैग की ओर से लिए गए समय का उल्लेख किया गया है. कांग्रेस (Congress) नेता ने जो तालिका साझा की उसमें यह भी दर्शाया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में कैग की रिपोर्ट में 18-24 महीने का समय लगा या वे फिर लंबित हैं.
एक खबर में कहा गया है कि आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी के मुताबिक 2015 से 2020 के बीच कैग की रिपोर्ट में 75 फीसदी की गिरावट आई है. साल 2015 में कैग ने 55 रिपोर्ट्स पेश की थी, लेकिन 2020 तक इसकी संख्या घटकर महज 14 रह गई है. इस तालिका के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए सीएजी ने 12 से 18 और 18 से 24 महीने में रिपोर्ट तैयार की या वो अब तक लंबित हैं. राहुल ने हालांकि उस तालिका का स्रोत नहीं बताया. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले पांच वर्षों में देश के सर्वोच्च ऑडिट संस्था द्वारा रिपोर्ट की संख्या में काफी कमी आई है.