अफगानिस्तान से पैदा होने वाली हर स्थिति से निपटने को भारत तैयार

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) ने कहा कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में अशांति है. पड़ोसी देश से पैदा होने वाली किसी भी विकट परिस्थिति से निपटने के लिए भारत को तैयार रहना होगा.

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Nihar Saxena
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विदेश सचिन हर्षवर्धन श्रृंगला ने तालिबान पर सुनाई खरी-खरी( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) ने कहा कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में अशांति है. पड़ोसी देश से पैदा होने वाली किसी भी विकट परिस्थिति से निपटने के लिए भारत को तैयार रहना होगा. वहां मानवीय संकट और प्रशासन की कमी के कारण स्थिति और खराब हो सकती है. एक मीडिया घराने की ओर से आयोजित कार्यक्रम के एक सेशन में श्रृंगला ने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत भी अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता देना चाहता है. विदेश सचिव ने कहा, ‘जहां तक मानवीय सहायता की बात है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई अन्य सदस्यों की तरह हमने भी कहा है कि अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतें और वहां सत्ता में बैठे लोग, दोनों अलग-अलग बातें हैं.’

पड़ोस देश का असर नहीं पड़े इसके लिए उठाए जाएंगे हरसंभल कदम
अफगानिस्तान में घटनाक्रमों के बाद नई दिल्ली की सुरक्षा चिंताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश की स्थिति का भारत पर असर नहीं पड़े, इसके लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे. श्रृंगला ने यह बात ऐसे समय कही जब अफगानिस्तान से सैन्य वापसी के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच पहली वार्ता शुरू हुई है. तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी और अमेरिकी प्रतिनिधी कतर में वार्ता शुरू करते हुए आपसी संबंधों को लेकर एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने इसकी पुष्टि की है.

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अफगानिस्तान में हित साध रही शक्तियों पर है नजर
दोहा में शनिवार को शुरू हुई व्यक्तिगत बैठकें अगस्त में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने, 20 साल की सैन्य उपस्थिति को समाप्त करने और तालिबान के सत्ता में आने के बाद ऐसा पहला प्रयास है. विदेश सचिव ने कहा, 'हम उन ताकतों पर भी नजर रख रहे  हैं जो अफगानिस्तान के हालात को अपने हित में अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं. इस सिलसिले में श्रृंगला का इशारा पाकिस्तान की ओर था जो तालिबान के जरिये अपने हित साधने की कोशिश कर रहा है. अपनी चर्चा में उन्होंने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के प्रमुख की काबुल यात्रा का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आईएसआई प्रमुख ने हालात को पाकिस्तान के हित में मोड़ने के लिए दौरा किया था. उनके दौरे के बाद ही अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार का गठन हुआ. उसमें शामिल 35 मंत्रियों में ज्यादातर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी हैं.

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HIGHLIGHTS

  • भारत भी अफगानिस्तान को मानवीय सहयोग देने का इच्छुक
  • पाकिस्तान अपने हित साध रहा है तालिबान को समर्थन दे
  • अफगानिस्तान की जरूरतें और सत्ता में बैठे लोग दोनों अलग

Source : News Nation Bureau

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