उत्तर भारत में भीषण गर्मी, अर्थव्यवस्था के विस्तार और लाखों ‘वंचित’ घरों तक बिजली का कनेक्शन पहुंचने की वजह से देश में बिजली की मांग इस साल रिकॉर्ड 40,000 से 45,000 मेगावॉट प्रतिदिन बढ़ी है. केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने यह जानकारी दी. सिंह ने कहा, ‘बिजली उत्पादन क्षमता में जोरदार सुधार, देश का एक पारेषण ग्रिड में एकीकरण और नरेंद्र मोदी सरकार के आठ साल के दौरान वितरण प्रणाली के मजबूत होने की वजह से आज सरकार 23 से 23.5 घंटे बिजली की आपूर्ति कर पा रही है. भारत की बिजली की मांग नौ जून को सर्वकालिक उच्चस्तर 2,10,792 मेगावॉट पर पहुंच गई. उस दिन बिजली की खपत 471.2 करोड़ यूनिट रही थी. मंत्री ने यह भी बताया कि बिजलीघरों से बिजली उत्पादन में 10 प्रतिशत आयातित कोयले का इस्तेमाल करने को कहा गया है.
घरेलू आपूर्ति के लिए कोयला आयात के ऑर्डर
सिंह ने कहा, ‘बिजली संयंत्र अपनी पूरी क्षमता पर परिचालन कर रहे हैं जिससे इस मांग को पूरा किया जा सके. सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कोयला आयात के ऑर्डर दिए हैं.’ मंत्री ने कहा, ‘पिछले आठ साल में पूरे बिजली क्षेत्र में बदलाव आया है. 2014 से पहले देश में बिजली की कमी थी और बिजली कटौती सामान्य बात थी.’ सिंह ने एक एनजीओ के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली 12.5 घंटे मिलती थी. आज यह आंकड़ा 22.5 घंटे पर पहुंच चुका है.
1.66 लाख सर्किट किमी पारेषण लाइन बिछाई गईं
उन्होंने दावा किया कि भारत कभी बिजली की कमी वाला राष्ट्र होता था. बिजली की कमी 17 से 20 प्रतिशत थी. आज भारत बिजली अधिशेष वाला देश बन चुका है. मंत्री ने ब्योरा देते हुए कहा कि आठ साल में 1,69,000 मेगावॉट बिजली क्षमता जोड़ी गई है. हमारी कुल बिजली क्षमता 4,00,000 मेगावॉट (400 गीगावॉट) पर पहुंच चुकी है. वहीं अधिकतम बिजली की मांग 215 गीगावॉट ही है. सिंह ने कहा कि 1.66 लाख सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइन बिछाने के बाद आज पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़ा गया है. पुरानी लाइनों को बदलकर वितरण प्रणाली को बेहतर किया गया है.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा एकल फ्रीक्वेंसी ग्रिड
उन्होंने कहा, ‘आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा एकल फ्रीक्वेंसी बिजली ग्रिड है.’ उन्होंने कहा कि पहले हम देश के एक कोने से दूसरे कोने में सिर्फ 37,000 मेगावॉट बिजली स्थानांतरित कर पाते थे. आज हम 1,20,000 मेगावॉट बिजली स्थानांतरित करने की स्थिति में है. सिंह ने कहा, ‘इसका परिणाम यह है कि आज बिजली की उपलब्धता बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की औसत उपलब्धता 23 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.5 घंटे पर पहुंच गई है.’ सिंह ने दावा किया कि आज उन हजारों गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है, जो 70 साल से इस सुविधा से वंचित थे. 2.86 करोड़ ‘वंचित’ घरों तक बिजली का कनेक्शन पहुंचाया गया है. यह जर्मनी और फ्रांस की सामूहिक आबादी से अधिक है.
HIGHLIGHTS
- ग्रामीण क्षेत्रों को 23 तो शहरों को मिल रही 23.5 घंटे बिजली
- 2.86 करोड़ वंचित घरों तक पहुंचाया गया बिजली कनेक्शन
- बिजली की मांग इस साल 40,000 से 45,000 मेगावॉट बढ़ी