जार्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किया गया। इसमें रक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, सीमा शुल्क के क्षेत्र में आपसी सहयोग जैसे समझौते शामिल हैं। इसके साथ ही दोनों देशों ने फिलिस्तीन को समर्थन देने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, 'दोनों नेताओं ने फिलिस्तीन मुद्दों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता और समर्थन को दोहराया।'
तिरुमूर्ति ने कहा, 'जार्डन के राजा ने फिलिस्तीन की यात्रा करने पर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) की सराहना की।'
बीते महीने जार्डन ने मोदी की फिलिस्तीन यात्रा का प्रबंध किया था। मोदी अम्मान से होकर फिलिस्तीन गए थे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली फिलिस्तीन यात्रा थी।
तिरुमूर्ति ने कहा, 'राजा अब्दुल्ला ने पश्चिम एशिया में भारत की 'काफी महत्वपूर्ण' भूमिका की प्रशंसा की।'
सचिव ने कहा कि जार्डन के राजा के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर काफी जोर दिया गया। उन्होंने कहा, 'दोनों नेता अफ्रीका में सहयोग की संभावना का पता लगाने को लेकर सहमत हुए।'
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अब्दुल्ला ने बुधवार को भारतीय मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के एक चयनित समूह से मुलाकात की थी और भारत-जार्डन व्यापार फोरम में शामिल हुए थे।
तिरुमूर्ति ने कहा कि दोनों नेताओं ने गुरुवार की बैठक के बाद रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, 'दोनों पक्षों में इस सहयोग को आगे ले जाने को लेकर उत्सुकता है और हम हमारे सहयोग को बढ़ाने के लिए क्षेत्रों की तलाश करने की प्रक्रिया में हैं।'
विदेश मंत्रालय के अनुसार, 'एमओयू का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है। यह सहयोग प्रशिक्षण, रक्षा उद्योग, आतंक के खिलाफ, सैन्य अध्ययन, साइबर सुरक्षा, सैन्य मेडिकल सेवा व शांति मिशनों जैसे मान्यता प्राप्त क्षेत्रों में किया जाएगा।'
दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य भारत और जॉर्डन की संबंधित विधायी व्यवस्थाओं और नियमन प्रावधान के अनुसार समानता और पारस्परिक लाभ के आधार पर स्वास्थ्य, चिकित्सा विज्ञान, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग स्थापित और प्रोत्साहित करना है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में यूनिसर्वल हेल्थ कवरेज, आईटी, स्वास्थ्य अध्ययन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सांख्यिकी, टीबी के लिए चिकित्सा, दवा उद्योग व उपकरणों के नियमन व अन्य क्षेत्रों की पहचान की गई।
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इसके अलावा दोनों देशों के बीच श्रमशक्ति सहयोग को लेकर समझौता हुआ है। इस समझौता ज्ञापन में जॉर्डन में भारतीय नागरिकों के संविदा रोजगार के प्रशासन में श्रेष्ठ व्यवहारों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत और जॉर्डन के बीच सहयोग का प्रावधान है।
जॉर्डन में अगली पीढ़ी के उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। इसका उद्देश्य पांच वर्षों में जॉर्डन के कम से कम 3000 आईटी पेशेवरों के प्रशिक्षण के लिए जॉर्डन में अगली पीढ़ी के सीओई स्थापित करना है।
इसके अलावा रॉक फॉस्फेट और उर्वरक/एनपीके की दीर्घकालीक सप्लाई समेत अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इससे पहले गुरुवार को, राजा अब्दुल्ला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में 'इस्लामिक हेरीटेज : प्रमोटिंग अंडरस्टैंडिंग एंड मॉडरेशन' विषय पर चर्चा में' अपनी बात रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आतंकवाद और चरमपंथ के विरुद्ध अभियान किसी धर्म को लक्ष्य बनाकर नहीं चलाया जा रहा है, बल्कि यह उस मानसिकता के खिलाफ है जो निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए युवाओं को गुमराह कर रही है। मानवता के खिलाफ अपराध को अंजाम देने वालों को शायद यह नहीं मालूम कि वे उस धर्म को चोट पहुंचा रहे हैं जिससे अपने संबंध का वे दावा करते हैं।'
मोदी ने कहा कि भारत में सबके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है क्योंकि सबके विकास से ही राष्ट्र का विकास संभव होता है और लोगों के जीवन में खुशहाली आती है। उन्होंने कहा कि आज यहां इतनी बड़ी संख्या में आपके इकट्ठा होने से प्रदर्शित होता है कि आप सभी अपनी अगली पीढ़ी का सही मार्गदर्शन करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस बात का भी संकेत है कि आप न सिर्फ युवाओं की तरक्की चाहते हैं बल्कि उनके मानस में मानवीय मूल्यों की बात भी बिठाना चाहते हैं।
मोदी ने कहा कि सर्वांगीण विकास और खुशहाली तभी आएगी जब हर मुस्लिम युवा के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर होगा।
वहीं इस अवसर पर राजा अब्दुल्ला ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ जंग, धर्मो के बीच जंग नहीं बल्कि नरमपंथ और चरमपंथ के बीच की जंग है।
उन्होंने कहा, 'धर्म के बारे में खबरों में जो सुनते हैं और दिखाए जाते हैं, उससे लोगों में विभाजन पैदा होता है।'
उन्होंने कहा कि घृणा की विचारधाराओं ने ईश्वर शब्द के अर्थ को तोड़-मरोड़कर पेश किया है ताकि कलह पैदा हो। ऐसी विचारधाराओं में अपराध व आतंक को सही ठहराने का प्रयास किया जाता है।
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Source : IANS