समुद्र की सतह एवं पानी के भीतर से वार करने वाली स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी-'आईएनएस खंदेरी' को गुरुवार सुबह मझगांव डॉक्स शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में लांच किया गया।
इस साल नौसेना की पनडुब्बी शाखा की स्वर्ण जयंती के मौके पर रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे, रक्षा एवं भारतीय नौसेना के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे।
इस अवसर पर भामरे ने कहा, 'वह दिन दूर नहीं जब भारत अन्य देशों के लिए भी पनडुब्बियों का निर्माण करेगा।'
भामरे ने कहा कि यह परियोजना देश के लिए आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण में एक मील का पत्थर है।
एडमिरल सुनील लांबा ने आईएनएस 'आईएनएस खंदेरी' की विश्व की सर्वश्रेष्ठ पनडुब्बियों से तुलना करते हुए कहा कि इससे हमारे शिल्पबिल्डर्स के सालों के अनुभव और विशेषज्ञता का पता चलता है। यह देश की पनडुब्बी क्षमताओं के लिए नए अध्याय की शुरुआत है।
इस नई पनडुब्बी को दिसंबर तक बंदरगाह और समुद्र में कड़े परीक्षण से गुजरना पड़ेगा। इसके बाद ही इसे भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा।
मौजूदा समय में एमडीएल परियोजना के तहत छह स्कॉर्पीन का निर्माण किया गया, जिसमें फ्रांस की कंपनी मेसर्स डीसीएनएस के साथ प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण शामिल है।
पहली स्कॉर्पीन-आईएनएस कल्वेरी का समुद्र में ट्रायल चल रहा है और इसे 2017 तक नौसेना के बेड़े में शामिल करने की उम्मीद है।
स्कॉर्पीन की अत्याधुनिक विशेषताओं में दुश्मनों पर हमला करने के लिए सर्वोत्तम स्टील्थ क्षमता है।
इन पनडुब्बी से टारपीडो, ट्यूब से लांच की जाने वाले जहाज रोधी मिसाइलों के साथ हमले किए जा सकते हैं और ये हमले समुद्र की सतह और जल के भीतर दोनों तरह से किए जा सकते हैं।
'आईएनएस खंदेरी' को मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन के आधार पर निर्मित किया गया है, जिसे कई भागों में विभाजित किया गया है।
पनडुब्बी में सभी तरह के उपकरणों की स्थापना की गई है जिसमें से 95 फीसदी कैबलिंग और पाइपिंग का काम पूरा हो चुका है जबकि दबाव की जांच और कार्यप्रणालियों पर काम चल रहा है।
Source : IANS