वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि देश को निरंतर उच्च आर्थिक वृद्धि की राह पर बनाये रखने के लिये केंद्र में मजबूत और निर्णय करने में समर्थ सरकार का होना जरूरी है. देश की अर्थव्यवस्था को हमें इतना मजबूत बनाना होगा कि वह कच्चे तेल के ऊंचे दाम और गिरते रुपये की चुनौतियों का आसानी से मुकाबला कर सके.
जेटली नई दिल्ली में मंगलवार को उद्योग मंडल एसोचैम की 98वीं सालाना बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेस के जरिए संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, 'यदि देश को उच्च वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाते रहना है और इसके लिए उच्च राजस्व एवं अधिक संसाधन लगातार प्राप्त करते रहना है, साथ ही देश में बेहतर ढांचागत सुविधाओं के लक्ष्य को हासिल करना है तो केंद्र में मजबूत और निर्णायक नेतृत्व होना जरूरी है.'
वित्त मंत्री ने देश के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुये कहा कि भारत तेल का शुद्ध आयातक देश है. विश्व बाजार में कच्चे तेल की कृत्रिम तौर पर कमी पैदा कर दाम बढ़ाये जा रहे हैं. इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, 'इस स्थिति का मुकाबला करने के लिये हमें तैयार रहना होगा. हमें इसका सामना करने के लिये क्षमता पैदा करनी होगी.'
वित्त मंत्री ने अपनी बात को और स्पष्ट करने के लिए आईएलएफएस कंपनी को संभालने की कार्रवाई का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, 'यदि आज कमजोर नेतृत्व होता तो वह कर्ज के बोझ से दबी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सविर्सेस (आईएलएफएस) के मामले को उस तरह से नहीं संभाल सकता था जैसा कि मौजूदा सरकार ने किया है. एक उभरते संकट को तुरंत संभाल लिया गया.'
उल्लेखनीय है कि आईएलएफएस और उसके समूह की कंपनियां इस समय कर्ज नहीं चुका पा रही हैं. सरकार ने फटाफट कार्रवाई करते हुए उसके निदेशक मंडल को हटाकर उसकी जगह उदय कोटक की अध्यक्षता में एक नया निदेशक मंडल बैठा दिया है.
इस समय कच्चे तेल के ऊंचे दाम से महंगाई बढ़ने का भी खतरा है क्योंकि इससे देश में पेट्रोलियम ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं.
जेटली ने सरकार के समक्ष खड़ी तमाम राजनीतिक चुनौतियों का जिक्र करते हुये कहा कि ये सभी उस अस्थिर गठबंधन और महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञों द्वारा पैदा की गई हैं जो किसी भी तरह सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि इस समय भारत को ऐसे व्यक्तियों की जरूरत नहीं जिसके पास नीतियों और दिशा की समझ नहीं है. भारत को ऐसा गठबंधन भी नहीं चाहिए जो अंदर से ही अस्थिर हो. इस समय जरूरत है तो ऐसी सरकार और नेतृत्व की जिसकी दिशा और सोच स्पष्ट हो ताकि भारत अपनी वर्तमान विशिष्ट स्थिति को बरकरार रख सके जिसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने दुनिया में एक आकर्षक निवेश स्थान बताया है. भारत की इस स्थिति को अगले दो दशक तक बनाये रखना है.
भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में 8.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल की है. पिछले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही थी.
जेटली ने कहा कि कुछ देशों की घरेलू नीतियों की वजह से उनका भारत पर भी असर पड़ रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह के प्रभाव दीर्घकालिक नहीं होंगे और अस्थाई रहेंगे.
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उन्होंने कहा, 'तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में हमारे पास इन चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है.'
Source : News Nation Bureau