भारत ने ऐतिहासिक आर्थिक संकट और इससे उपजे हिंसक विरोध-प्रदर्शन झेल रहे श्रीलंका को ईंधन और अनाज की मदद क्या भेजी, अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया. इसमें भी सबसे बड़ी बात यह था कि यह अफवाह फैलने लगी कि भारत अपनी सेना श्रीलंका भेज सकता है ताकि हर गुजरते दिन के साथ बद् से बद्तर होती स्थितियों को संभाला जा सके. अंततः श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग को इस बात को साफ करना पड़ा कि भारत अपनी सेना इस द्विपीय देश में नहीं भेज रहा है. गौरतलब है कि आसमानी छूती महंगाई के लिए राष्ट्रपति को जिम्मेदार मान लोगों का हुजूम गोटबाया राजपक्षे के घर पर प्रदर्शन करने पहुंच गया था. इसके बाद सुरक्षा बलों से हुई हिंसक झड़प के बाद राष्ट्रपति ने आपातकाल लगा 36 घंटे का कर्फ्यू लागू कर दिया था.
ईंधन और चावल भेज निभाया पड़ोसी धर्म
गौरतलब है कि भारत ने ईंधन की जबर्दस्त किल्लत से जूझ रहे श्रीलंका को शनिवार की रात 40,000 मीट्रिक टन ईंधन भेजा था. इसके साथ ही क्रेडिट लाइन में छूट देते हुए उसके लिए आगे की राह भी आसान कर दीं. साथ ही मोदी सरकार 40 हजार टन चावल भेज चुकी है और इस साल में कुल 3 लाख टन चावल भेजेगी. इससे उम्मीद है कि श्रीलंका को अपनी तमाम दुश्वारियों में से कुछ से निजात मिल सकेगी. इस दौरान श्रीलंका सरकार स्थितियों को काबू में करने के लिए जरूरी कदम उठा सकेगी.
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भारतीय सेना श्रीलंका भेजने का खंडन
इस बीच भारत ने शनिवार को इस दावे को खारिज कर दिया कि इस द्वीपीय देश श्रीलंका में लगाए गए आपातकाल के बीच नई दिल्ली श्रीलंका में अपने सैनिक भेज रहा है और कहा कि यह फर्जी सूचना है. श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने मीडिया के एक वर्ग के समक्ष इन निराधार रिपोर्टों का खंडन किया कि भारत अपने सैनिकों को श्रीलंका भेज रहा है. देश में अशांति को रोकने के लिए श्रीलंका सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है. गौरतलब है कि सबसे खराब आर्थिक स्थिति जो द्वीप राष्ट्र देख रहा है, वह कोविड-19 महामारी से जटिल हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यटन और प्रेषण से राजस्व में गिरावट आई है.
HIGHLIGHTS
- श्रीलंका में सोमवार सुबह तक है कड़ा कर्फ्यू
- इसके बावजूद लोगों का सड़कों पर उतरना जारी
- इसी बीच भारतीय सेना से जुड़ी अफवाह फैल गई