सीमा पर तनाव के बीच पाकिस्तान की तरफ जाने वाली सतलुज नदी का पानी काफी हद तक रोक दिया गया है. भारत-पाक के बीच साल 1960 में सिंधु जल संधि हुई थी जिसमें सतलुज, रावी और व्यास के पानी का अधिकार भारत को मिला था. यह जल संधि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाक की तरफ से अयूब खान के बीच हुई थी.
पंजाब के सरहदी जिला फिरोजपुर और फिरोजपुर का बॅार्डर हुसैनीवाला जहां से सतलुज नदी के पानी को रोक दिया गया है. यहां से भारत और पाकिस्तान के बीच की दूरी महज 1 किलोमीटर है. जहां बैराज के ज्यादातर गेट्स को बंद कर के सतलुज के पानी को रोका जा रहा है. पाकिस्तान की तरफ जाने वाली सतलुज नदी के पानी को रोकने के लिए रेत और सीमेंट की बोरियों का भी सहारा लिया जा रहा है.
भारत जहां कूटनीतिक रूप से विश्व देशों का पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ समर्थन हासिल करने में कामयाब हुआ है, रणनीतिक रूप से पाकिस्तान का एफ16 युद्धक जहाज गिरा दिया गया है, वही अपने हिस्से के पानी को रोक कर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश भी की जा रही है.
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले पुलवामा हमले के बाद नितिन गडकरी ने कहा था कि हम अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान में रहने नहीं देंगे. अब यह वादा पंजाब के फिरोजपुर में काफी हद तक पूरा होता हुआ नजर आ रहा है.
बता दें कि भारत-पाक विभाजन के समय तीन नदियां भारत को मिली थीं और तीन पाकिस्तान को. इसके बावजूद देश को मिली तीन नदियों से भी देश के हिस्से का पानी पाकिस्तान को मिलता रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.इन नदियों के पानी को भारत में ही बांध बनाकर रोक दिया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि बंटवारे के समय भारत को सतलुज, रावी और व्यास नदियां मिली थीं, जबकि पाकिस्तान को सिंधु झेलम और चेनाब मिली थीं. लेकिन फिर भी भारतीय नदियों का पानी पाकिस्तान जाता रहा है. उन्होंने कहा कि डिप इरिगेशन से किसानों को अधिक पानी मिलेगा, जिससे वो ज्यादा उत्पादन कर सकेंगे.
Source : News Nation Bureau