पुलवामा हमले पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद बुधवार को नियंत्रण रेखा पर भारत-पाकिस्तान के विमानों की हुई झड़प के बाद सीमा पर तनाव बढ़ते जा रहे हैं. इस झड़प में भारत ने पाकिस्तान के एक विमान को मार गिराया और भारतीय वायुसेना को भी अपना एक मिग 21 खोना पड़ा. हालांकि इस दौरान भारतीय वायुसेना (IAF) के एक पायलट को पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले लिया. पायलट की पहचान विंग कमांडर अभिनंदन के रूप में हुई है. पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने पहले भारत के दो पायलट को पकड़ने का दावा किया था लेकिन बाद में स्पष्ट किया कि उन्होंने सिर्फ एक भारतीय पायलट को पकड़ा है.
दोनों देशों के बीच दिनभर रहे तनाव के बीच पाकिस्तान की ओर से एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें एक व्यक्ति वर्दी में, उसकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई और वह घायल दिखाई दे रहा था. इस वीडियो में उसने कहा कि वो विंग कमांडर अभिनंदन है. हालांकि बाद में पाकिस्तानी मीडिया की ओर से अभिनंदन का एक और वीडियो जारी किया गया जिसमें वह चाय पीते दिख रहे हैं और वे कह रहे हैं कि पाकिस्तानी सेना ने उनके साथ काफी अच्छा सलूक किया और वे काफी अच्छे हैं.
इसके बावजूद जब अभिनंदन का पहला वीडियो सामने आया था तो उनके चेहरे पर चोटें थी और इसे जेनेवा संधि का उल्लंघन बताया जा रहा है. अभिनंदन को पाकिस्तान द्वारा बुधवार को हिरासत में लेने का मामला 1929 की जिनेवा संधि के तहत आएगा.
क्या है जेनेवा संधि
युद्ध के वक्त गिरफ्तार किए गए लोगों का सरंक्षण (POW) करने वाले नियम विशिष्ट हैं. इन्हें पहले 1929 में जेनेवा संधि के जरिए ब्यौरे वार किया गया था और द्वितीय विश्व युद्ध से सबक सीखते हुए 1949 में तीसरी जेनेवा संधि में उनमें संशोधन किया गया था.
नियमों के मुताबिक, जंगी कैदी का संरक्षण का दर्जा अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों में ही लागू होता है. संधि के मुताबिक, युद्ध बंदी वह होते हैं जो संघर्ष के दौरान आमतौर पर किसी एक पक्ष के सशस्त्र बलों के सदस्य होते हैं जिन्हें प्रतिद्वंदी पक्ष अपनी हिरासत में ले लेता है. यह कहता है कि पीओडब्ल्यू को युद्ध कार्य में सीधा हिस्सा लेने के लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.
इसके मुताबिक, उनकी हिरासत सजा के तौर पर नहीं होती है बल्कि इसका मकसद संघर्ष में उन्हें फिर से हिस्सा लेने से रोकना होता है. युद्ध खत्म होने के बाद उन्हें रिहा किया जाना चाहिए और बिना किसी देरी के वतन वापस भेजना चाहिए.
हिरासत में लेने वाली शक्ति उनके खिलाफ संभावित युद्ध अपराध के लिए मुकदमा चला सकती है लेकिन हिंसा की कार्रवाई के लिए नहीं जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत विधिपूर्ण है.
नियम कहते हैं कि जंगी कैदियों के साथ हर परिस्थिति में मानवीय तरीके से सलूक किया जाना चाहिए. जेनेवा संधि कहती है कि वह हिंसा की किसी भी कार्रवाई के साथ-साथ डराने, अपमानित करने और सार्वजनिक नुमाइश से पूरी तरह से सरंक्षित हैं.
पाकिस्तान ने कहा- अच्छा सलूक किया जा रहा
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने अभिनंदन की तस्वीर के साथ ट्वीट कर कहा, 'पाकिस्तानी सेना की हिरासत में सिर्फ एक पायलट है. विंग कमांडर अभिनंदन के साथ सैन्य आचरण के मुताबिक सलूक किया जा रहा है.'
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वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा कि दोनों देशों को तनाव के बीच बेहतर समझ बनाकर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'मुझे डर था कि भारत कार्रवाई करेगा और इसलिए मैंने भारत को आक्रामकता के खिलाफ चेतावनी दी थी. जब भारत ने कल (मंगलवार) सुबह (बालाकोट में जेईएम के प्रशिक्षण शिविर पर) कार्रवाई की, तब हमने हमारे सेना कमांड से बात की और नुकसान के आंकलन तक कार्रवाई का इंतजार किया. यह हमारी योजना थी कि किसी भी प्रकार की क्षति न हो और न ही कोई हताहत हो.'
भारत ने वापस दिए जाने की मांग की
भारत ने अभिनंदन को हिरासत में लिए जाने के बाद पाकिस्तान के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया और भारतीय पायलट की तत्काल और सुरक्षित वापसी की मांग की. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया गया है कि भारतीय रक्षाकर्मी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने अंतरराष्ट्रीय मानवता कानून और जिनेवा संधि के विपरीत किसी घायल कर्मी को 'अशोभनीय रूप से दिखाए जाने पर' पड़ोसी देश के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
(PTI इनपुट्स के साथ)
Source : News Nation Bureau