रूस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट बनाने में ज्यादा लागत आने की वजह से भारत ने पहले इससे हाथ पीछे खींच लेने का फैसला किया था लेकिन सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार इस पर फिर से विचार कर रही है।
अधिकारियों के मुताबिक इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर दोनों देशों के बीच वार्ता अभी तक शिथिल नहीं पड़ी है क्योंकि भारत पहले भी इस फाइटर जेट के विकास पर फिर से विचार करने के लिए तैयार था। हालांकि अब दोनों देश फाइटर जेट के लागत को कम करने एक सूत्र तक पहुंच गए हैं।
गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच साल 2007 में रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने और सैन्य संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए मेगा प्रोजेक्ट के तहत अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। लेकिन पिछले 11 सालों से इस परियोजना पर कोई काम नहीं हो पाया क्योंकि दोनों पक्षों के बीच फाइटर जेट को विकसित करने के खर्च, उसकी तकनीक और विमानों की संख्या को लेकर गंभीर मतभेद शुरू हो गए।
सूत्रों के मुताबिक इस साझा परियोजना की लागत करीब 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर या फिर 2 लाख करोड़ रुपये है। इस परियोजना में भारत की तरफ से शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, लागत को कम करने की गुंजाइशों समेत परियोजनाओं से जुड़े हर पक्ष की जानकारी रूस को दे दी गई है और अभी इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं हुआ है।
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खासबात यह है कि दिसंबर 2010 में भारत फाइटर जेट के शुरुआती डिजाइन पर तैयार हो गया और इसके लिए 295 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने को भी राजी हो गया था। लेकिन बाद में विमान के अंतिम डिजाइन और उत्पादन को लेकर भारत और रूस दोनों ने इसमें 6 बिलियन डॉलर निवेश करने का इरादा व्यक्त किया था लेकिन वो इसपर अंतिम रूप से तैयार नहीं हो पाए।
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Source : News Nation Bureau