प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रुस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात के पहले 40,000 करोड़ की मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद को मंजूरी दे सकता है।
सूत्रों का कहना है कि भारत एस-400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिये अंतिम रूप और औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। इसके साथ ही कीमतों को लेकर भी बातचीत पूरी हो चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सितंबर-अक्टूबर में मुलाकात होनी है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस सौदे के लिए बातचीत अंतिम दौर में है तथा कीमत व अन्य छोटे मोटे मुद्दों को लेकर मतभेदों को करीब करीब दूर कर लिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि रूस और भारत दोनों इस डील को मोदी-पुतिन की शिखर वार्ता के पहले ही कर लेना चाहता है।
उनका कहना है कि भारत पर अमेरिकी कानून का असर नहीं होगा और वो रूस के साथ इस बड़ी डील को फाइनल करना चाहता है। अमेरिका ने नया कानून लाकर रूस को इस बात के लिये सजा देना चाहता है कि उसने अमेरिका में 2016 में हुए चुनाव में गड़बड़ियां की थी।
और पढ़ें: AMU में जिन्ना की तस्वीर पर बवाल, बीजेपी सांसद ने VC से मांगा जवाब
हालांकि अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने अमेरिकी कांग्रेस से कहा है कि वो भारत को इस कानून के बाहर रखें। क्योंकि एस-400 मिसाइल की खरीद को लेकर किसी भी तरह का भारत पर प्रतिबंध अमेरिका को नुकसान पहुंचा सकता है।
अपनी रक्षा जरूरतों के तहत भारत लंबी दूरी के मिसाइल सिस्टम को खरीदना चाहता है। खासकर चीन के साथ लगने वाली 4000 किलोमीटर की सीमा पर भारत अपनी वायु सुरक्षा को मज़बूत करना चाह रहा है।
साल 2016 में भारत और रूस ने ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम को खरीदने के लिये एक समझौता किया था। इस मिसाइल की खासियत ये है कि वो हमला करने आ रही मिसाइल या ड्रोन को 400 किलोमीटर पहले ही हवा में ही नष्ट कर देता है।
एस-400 को रूस का सबसे आधुनिक मिसाइल डिफेंस सिंस्टम माना जाता है।
और पढ़ें: राहुल 15 मिनट बिना पेपर के बोलकर दिखाएं, जानिए पीएम ने और क्या कहा
Source : News Nation Bureau