भारत-रूस ने शनिवार को एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-400 और कामोव केए-226 T पर हस्ताक्षर किया। डिफेंस मिसाइल जमीन से मार करने वाला दुनिया का बेहतरीन मिसाइल में से एक माना जाता है। इसे रूसी एल्मेज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो एस-300 ने विकसित किया है। अभी यह रूसी आर्म्ड फोर्स के अलावा किसी देश के पास नहीं है। S-400 समझौता करीब 39 हजार करोड़ का है।
रूस की कंपनी रोसटेक ने भारत में सैन्य हेलीकॉप्टर कामोव केए-226 T बनाने का फैसला किया है। इसके तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल ) के साथ ज्वाइंट वेंचर किया गया है। रोसटेक के मुताबिक एचएएल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में कम से कम 200 हेलीकॉप्टर का उत्पादन किया जाएगा।
गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान S-400 ट्रम्फ मिसाइल और केए-226 T समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन ने सम्मेलन से इतर मुलाकात की।
क्यों खास है एस-400 ट्रम्फ?
इस मिसाइल सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे सभी तरह के एरियल टारगेट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ये 400 किमी की रेंज में और 10,000 फीट की ऊंचाई तक हमला कर सकता है।
हवा में (एयरोडाइनिमिक) लक्ष्यों के लिए रेंज- 3 किमी से 240 किमी है। जो पाकिस्तान जैसे देशों को आसानी से जद में ले लेगा।
मिसाइल सिस्टम की अधिकतम रफ्तार 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड तक है।
10,000 फीट की ऊंचाई तक निशाना साध सकता है।
सबसे खास बात है कि इसकी तैनाती में मात्र 5 से 10 मिनट तक का समय लगता है।
अगर अमेरिका के एमआईएम-104 से तुलना करें तो इसकी ताकत दोगुनी है।
इसका मुख्य काम दुश्मनों के स्टील्थ विमान को हवा में उड़ा देना है।
कामोव केए-226 T की खासियत
कामोव केए-226T एक लाइट वेट मल्टीपरपज हेलीकॉप्टर है। जिसमें नेविगेशन उपकरण लगे हैं।
कामोव हेलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा और आकार छोटा होने से इसे छोटे हवाई अड्डों पर भी लैंड या टेक ऑफ की अनुमति मिल जाती है।
हेलीकॉप्टर में रीप्लेनकेबल ट्रांसपोर्ट मॉड्यूल लगा हुआ है, जिससे कम समय में यह अपनी कार्यक्षमता बदलने में सक्षम है।