भारत ने अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति फिर से दर्ज करानी शुरू कर दी है. तालिबान शासित अफगानिस्तान में भारत से गई टेक्निकल टीम गुरुवार को काबुल पहुंची और भारतीय दूतावास में तैनात हो गई. यह टीम भारत से भेजी जा रही मानवीय सहायता को तालिबान सरकार की संबंधित एजेंसियों के साथ कॉर्डिनेट कर डिलीवरी करने का काम करेगी. इससे पहले विदेश मंत्रालय के पीआईओ यानी पाकिस्तान अफगानिस्तान और ईरान डिवीजन के ज्वाइंट सेक्रेटरी के नेतृत्व में एक डेलिगेशन काबुल गया था, जिसने तालिबान सरकार से मुलाकात और बातचीत की थी. इस मुलाकात के दौरान तालिबान सरकार ने भारतीय अधिकारियों की सुरक्षा का भरोसा दिया था, जिसके बाद यह टेक्निकल टीम भेजी गई है.
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तालिबान काल में गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट औपचारिक शुरुआत
इस बाबत जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक और घनिष्ट सम्बन्ध रहे हैं. लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि भारत अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को अभी मान्यता नहीं दे रहा है. पिछले अगस्त के महीने में जब अशरफ गनी की सरकार को तालिबान ने सत्ता से बेदखल कर काबुल में कब्जा जमाया था तो उसी दौरान दुनिया के अधिकांश देशों ने सुरक्षा कारणों ने अपना दूतावास बंद कर दिया था और डिप्लोमैट सहित अपने नागरिकों को वापस बुला लिया था. भारत ने भी हेरात, जलालाबाद, कंधार और मजार-ए-शरीफ सहित काबुल स्थित अपने दूतावास को बंद कर सभी संबंधित राजनयिक, कर्मचारी और अधिकारी वापस बुला लिए थे. हालांकि बाद में ये बताया गया कि भारत ने काबुल स्थित अपने दूतावास को पूरी तरह बंद नहीं किया है, बल्कि स्थानीय लोगों की देखरेख और मामूली कामकाज के लिए रखा गया है. अब जबकि पहली टेक्निकल टीम काबुल पहुंची है तो माना जा रहा है कि भारत अफगानिस्तान के बीच तालिबान रीजीम में यह गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट औपचारिक शुरुआत हो गई है.
HIGHLIGHTS
- भारत ने तालिबान शासित अफगानिस्तान में फिर खोला दूतावास
- तालिबान ने दी भारतीय अधिकारियों की सुरक्षा की गारंटी
- भारत ने तालिबान सरकार को अभी नहीं दी है मान्यता
Source : Madhurendra Kumar