कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाली विदेश मामलों पर संसदीय समिति ने केंद्र सरकार के सामने एक मसौदा पेश किया है जिसमें कहा गया है कि सिक्किम के संवेदनशील क्षेत्र में चीनी सेना की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए भारत को उत्तरी डोकलाम के आसपास सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के लिए भूटान को प्रोत्साहित करना चाहिए। मसौदे के अनुसार इस संसदीय समिति ने महसूस किया कि क्षेत्र में भारत के सामरिक हितों की रक्षा के लिए उत्तरी डोकलाम में सैनिकों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। हालांकि 6 अगस्त को समिति के सदस्यों के बीच प्रसारित की गई इस रिपोर्ट में यह साफ नहीं किया गया है कि समिति क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के पक्ष में है या नहीं।
संसदीय समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि भारतीय और चीनी सेना के बीच गत वर्ष हुआ आमना-सामना शांतिपूर्वक सुलझ गया है लेकिन भारत को डोकलाम क्षेत्र में सतर्क रहना चाहिए और निगरानी रखनी चाहिए।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बटांगला मेरूगला सिंचेला रिजलाइन में भूटानी सैनिकों की गैरमौजूदगी का लाभ उठाया जो कि भूटान में है।
उन्होंने कहा कि भारत को भूटान को इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि चीनी सेना को ट्राई जंक्शन बिंदु की सीमा से आगे बढ़ने से रोका जा सके।
गौरतलब है कि इस 31 सदस्यीय समिति के सदस्य राहुल गांधी भी हैं जिसमें बहुसंख्यक सदस्य बीजेपी से हैं।
समिति के सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार भूटान इस मुद्दे पर भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से चीन के उद्देश्य को लेकर सवाल किया था।
उन्होंने यह भी पूछा था कि चीन ने भारत के साथ टकराव शुरू करने के लिए डोकलाम को ही क्यों चुना।
समिति को पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर और उनके उत्तराधिकारी विजय गोखले द्वारा कई बार स्थिति को लेकर अवगत कराया गया है।
आपको बता दें कि पिछले साल 16 जून से 73 दिन तक भारत और चीन के सैनिक सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में तब-तक आमने सामने रहे थे जब तक भारतीय पक्ष ने विवादास्पद ट्राई जंक्शन में चीन की सेना की ओर से हो रहे सड़क निर्माण के कार्य को रोक नहीं दिया था।
भूटान और चीन के बीच डोकलाम को लेकर विवाद है और दोनों देश मुद्दे को सुलझाने के लिए वार्ता कर रहे हैं।
Source : News Nation Bureau