वैश्विक और संरचनात्मक चुनौतियों के बावजूद भारत की वृद्धि दर अगले कुछ सालों तक 7-7.5 फीसदी रहेगी, जो दुनिया की एक सबसे उच्च दर है. इसमें संरचनात्मक समस्याओं को दूर करने के लिए सुधारों को लागू करने के बाद एक फीसदी की अतिरिक्त तेजी आ सकती है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने शुक्रवार को यह बात कही. सलाहकार परिषद ने यह भी दृढ़ता से महसूस किया कि राजकोषीय समेकन के लक्ष्यों से दूर नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसे सामाजिक क्षेत्र में लगातार सुधार पर जोर देने के लिए बनाया गया है.
नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली सलाहकार परिषद ने आर्थिक स्थिति पर बैठक के बाद एक बयान में कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर हालांकि उत्साहजनक नहीं दिखती, खासतौर से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में, लेकिन उभरते बाजारों में अच्छी विकास दर की संभावना है. भारत भी हालांकि वैश्विक घटनाक्रम से अछूता नहीं है, लेकिन इसके बावजूद अगले कुछ सालों में विकास दर 7-7.5 फीसदी रहने की उम्मीद है. यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी."
बयान में आगे कहा गया है, "संरचनात्मक समस्याओं के निदान के लिए जो सुधार किए जा रहे हैं, उससे विकास दर में एक फीसदी की अतिरिक्त बढ़ोतरी बहुत आसानी से हो सकती है."
Source : IANS