भारतीय नौसेना के युद्धपोत ने वियतनाम के बीच समुद्री सहयोग और संपर्क को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत दक्षिण चीन सागर में वियतनामी नौसेना के साथ 'पैसेज अभ्यास' किया. भारतीय नौसेना पोत 'आईएनएस किल्टन' को मध्य वियतनाम के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री के साथ भेजा गया था और अपनी वापसी यात्रा के दौरान इस युद्धपोत ने 'संपर्क और सहयोग संबंधी अभ्यास' (पैसेज अभ्यास) में हिस्सा लिया.
अभ्यान का समय महत्वपूर्ण
यह अभ्यास ऐसे समय में किया गया है, जब चीन वैश्विक चिंताओं एवं आलोचनाओं के बीच दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियों को विस्तार दे रहा है. भारतीय नौसेना ने रविवार को ट्वीट किया, 'भारतीय नौसेना और वियतनामी नौसेना के बीच 26 दिसंबर को पैसेज अभ्यास किया गया. इससे समुद्री आदान-प्रदान एवं एकजुटता को और मजबूती दी गई.' उल्लेखनीय है कि मध्य वियतनाम के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए करीब 15 टन राहत सामग्री के साथ आईएनएस किल्टन गत बृहस्पतिवार को हो ची मिन्ह सिटी के ना रंग बंदरगाह पहुंचा था.
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ताइवान के बाद वियतनाम की करीबी से चीन परेशान
गौरतलब है कि ताइवान के बाद वियतनाम से भारत की बढ़ती नजदीकियों से चीन परेशान है. भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. दक्षिण चीन सागर में चीन पहले ही अमेरिका की बढ़ती आक्रामकता से परेशान है जहां अमेरिका ने पहले ही युद्धपोत निमित्ज और रोनाल्ड रीगन को तैनात कर रखा है. अब जिस तरह से भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन की घेराबंदी शुरू की है उससे एक बात साफ है कि चीन को चौतरफा पीटना का मोदी का प्लान बिल्कुल सही तरीके से चल रहा है.
भारत ने वियतनाम को दी 500 मिलियन की क्रेडिट लाइन
वियतनाम के पास भारत से रक्षा खरीद के लिए 500 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन है. भारत चीन को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल बेचना चाहता है जो परंपरागत हथियारों के साथ 300 किलोग्राम परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है और 650 किमी. तक दुश्मन के ठिकानों को पलक झपकते बर्बाद कर सकती है. वियतनाम भी मध्यम दूरी की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को दक्षिण चीन सागर में तैनात अपनी पनडुब्बियों में लगाना चाहता है. इसके अलावा मध्यम दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल को वियतनाम लड़ाकू विमानों, समुद्री जहाजों में तैनात कर सकता है.
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वियतनाम को भारत के साथ से ड्रैगन हलाकान
जाहिर है कि भारत-वियतनाम के सैन्य अभ्यास से चीन बेचैन हो उठा है. भारत के गुट में वियतनाम के आने से चीन की परेशानी बढ़ गई है. गौरतलब है कि वियतनाम के पास 1650 किमी. का समुद्री तट है जहां चीन अक्सर अतिक्रमण करने की कोशिश करता है जबकि चीन के साथ उसकी जमीनी सीमा 1300 किमी. लंबी है. चीन और वियतनाम दोनों कम्युनिस्ट देश हैं दोनों के बीच 50 साल से समुद्री और ज़मीनी सीमा को लेकर संघर्ष चल रहा है.
1971 की जंग में वियतनाम ने निभाई थी दोस्ती
पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था और भारत पर हमला करना चाहता था. अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में युद्धपोत इंटरप्राइज को रवाना कर दिया था, लेकिन वियतनाम ने अमेरिकी युद्धपोतों को रोककर भारत की मदद की थी. लिहाजा भारत हमेशा वियतनाम को अपना निकटतम सहयोगी मानता है. दो दिन पहले भारत का युद्धपोत 15 टन राहत सामग्री लेकर वियतनाम के हो चो मीन्ह शहर के नाहरॉन्ग बंदरगाह पर पहुंचा था जो वहां के बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए मोदी सरकार ने भेजी थी.
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भारत हरसंभव मदद कर रहा वियतनाम की
भारत ने वियतनाम के साथ रक्षा से लेकर पेट्रोकेमिकल तक सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. चीन को रोकने के लिए भारत ने तेज गति से चलने वाली 12 नावें भी वियतनाम बॉर्डर गार्ड को दी हैं. जबिक वियतनाम ने हनोई में भारत को अपने बंदरगाह नौसेना के इस्तेमाल के लिए दिए हैं. वियतनाम और भारत की दोस्ती से चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की नींद उड़ी हुई है.